Updated on: 18 October, 2025 08:13 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भारी बारिश और फसल बर्बादी से परेशान किसानों की हालत पर महाराष्ट्र कांग्रेस ने भाजपा महायुति सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध आंदोलन का ऐलान किया है.
X/Pics, Harshvardhan Sapkal
महाराष्ट्र में इस साल भारी बारिश और बेमौसम आपदाओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है. लाखों एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और हजारों किसानों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है. ऐसे में सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे किसानों को अब तक ठोस मदद नहीं मिल पाई है. इसी पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भाजपा महायुति सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध आंदोलन का ऐलान किया है.
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कांग्रेस ने घोषणा की है कि सोमवार, 20 अक्टूबर को पूरे राज्य में ‘पिठलं भाकर’ आंदोलन किया जाएगा. इस दिन पार्टी कार्यकर्ता और किसान मिलकर पारंपरिक मराठी भोजन ‘पिठलं-भाकर और ठेचा’ खाकर सरकार के खिलाफ विरोध जताएंगे. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने किसानों को राहत देने के नाम पर सिर्फ खोखले वादे किए हैं और दिवाली से पहले भी किसानों को किसी प्रकार की वास्तविक सहायता नहीं मिली है.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि “जब बलीराजा यानी किसान तबाह हो गया था, तब उसे राहत पैकेज और कर्ज़माफी की ज़रूरत थी. लेकिन सरकार ने किसानों को फर्जी पैकेज देकर काली दिवाली दी है.” पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के 30 जिलों के 350 तालुकों में बारिश और बाढ़ से सब कुछ बह गया, फिर भी घोषित 32,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज किसानों के लिए एक “धोखा” साबित हुआ.
प्रदेश कांग्रेस ने यह मांग रखी थी कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की सहायता दी जाए, फसल बर्बादी पर 5 लाख रुपये तक का मुआवज़ा मिले और कर्ज़ माफी दी जाए. लेकिन महायुति सरकार ने पुरानी योजनाओं को जोड़कर एक नया पैकेज घोषित कर दिया, जो किसानों तक अब तक नहीं पहुंचा है.
कांग्रेस ने कहा कि यह विरोध आंदोलन सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि किसानों की आवाज़ उठाने के लिए है. पार्टी ने राज्य के हर जिले, तालुके और गांव में ‘पिठलं भाकर’ खाकर यह संदेश देने का निर्णय लिया है कि अगर बलीराजा की दिवाली काली है, तो कांग्रेस उसकी लड़ाई सड़कों पर लड़ेगी.
प्रदेश कांग्रेस ने सभी जिला अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे 20 अक्टूबर को गांव-गांव जाकर किसानों के साथ यह विरोध आंदोलन करें, ताकि सरकार को किसानों की पीड़ा का एहसास कराया जा सके.
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