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चुनाव से पहले कांग्रेस की कड़ी कार्रवाई, आबा बागुल सहित 7 बागी नेता पार्टी से निष्कासित, 28 अन्य नेताओं पर कार्रवाई

Updated on: 11 November, 2024 09:20 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

कांग्रेस ने अनुशासनहीनता पर सख्त कदम उठाते हुए आबा बागुल सहित 7 बागी नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया है.

X/Pics, Nana Patole

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की हाइलाइट्स

  1. कांग्रेस ने आबा बागुल समेत 7 बागी नेताओं को निलंबित किया
  2. 28 अन्य नेताओं पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई
  3. पार्टी ने अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए

महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने बड़ा और निर्णायक कदम उठाते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की है. कांग्रेस ने अब तक कुल 28 बागियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. यह कदम कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के निर्देश पर उठाया गया है. पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी कार्यों के लिए कोई स्थान नहीं है, चाहे वह कितना भी वरिष्ठ या प्रभावशाली नेता क्यों न हो.

इस कड़ी कार्रवाई में प्रमुख नामों में रामटेक विधानसभा क्षेत्र से राजेंद्र मुलक, काटोल से दिवंगत कांग्रेस नेता श्रीकांत जिचकर के पुत्र याज्ञवल्क्य जिचकर, पार्वती विधानसभा क्षेत्र से आबा बागुल और कसबा विधानसभा क्षेत्र से कमल व्यवहारे शामिल हैं. इन नेताओं को 6 साल की अवधि के लिए पार्टी से निलंबित किया गया है. पार्टी ने इस कदम से स्पष्ट संदेश दिया है कि अनुशासनहीनता को सहन नहीं किया जाएगा और किसी भी नेता की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पार्टी की एकता और चुनावी रणनीति से ऊपर नहीं रखा जा सकता.



कांग्रेस के सांगली विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी के भीतर उथल-पुथल देखी गई. पार्टी द्वारा पृथ्वीराज पाटिल को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वसंतदादा गुट ने विरोध स्वरूप जयश्री पाटिल को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा. इस स्थिति ने सांगली में कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी. सांसद विशाल पाटिल के सार्वजनिक रूप से जयश्री पाटिल का समर्थन करने से स्थिति और गंभीर हो गई. इस पर पार्टी ने सख्त रुख अपनाते हुए जयश्री पाटिल को भी पार्टी से निलंबित कर दिया.

कांग्रेस के इस कदम का उद्देश्य स्पष्ट है: पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी नेता पार्टी के निर्णयों के विरुद्ध न जाए. आगामी चुनावों से पहले पार्टी को एकजुट और मजबूत बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई अनिवार्य समझी जा रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस निर्णय को पार्टी की मजबूती और अनुशासन की दिशा में उठाया गया आवश्यक कदम बताया है. इस सख्त कदम से पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक मजबूत संदेश गया है कि कांग्रेस अपनी नीतियों और चुनावी रणनीतियों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी.


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