Updated on: 22 April, 2025 05:02 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने रामदेव के बयान को लेकर पतंजलि फूड्स लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की.
बाबा रामदेव
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव को दवा और खाद्य कंपनियों हमदर्द और रूह अफजा को निशाना बनाकर सांप्रदायिक गालियां देने के लिए फटकार लगाई. हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने रामदेव के बयान को लेकर पतंजलि फूड्स लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह बयान चौंकाने वाला है. अदालत ने कहा कि यह बयान माफी योग्य नहीं है.
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पतंजलि और रामदेव के खिलाफ हमदर्द द्वारा दायर मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अमित बंसल ने सख्त आदेश देने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि वीडियो देखने के बाद किसी को भी अपनी आंखों और कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है. उच्च न्यायालय ने कहा कि शराब जिहाद पर कथित टिप्पणी अनुचित थी. कोर्ट ने इस मामले में पांच दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इस हलफनामे में कंपनी को कहना है कि वह भविष्य में ऐसी कोई घोषणा नहीं करेगी. इस मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी.
हमदर्द की ओर से मामले पर बहस कर रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस तरह के बयान सामाजिक विभाजन पैदा करते हैं. वहीं, रामदेव के वकील ने कहा कि शरबत जिहाद का विज्ञापन हटा दिया जाएगा. रामदेव ने यह विवादास्पद टिप्पणी 3 अप्रैल को अपनी कंपनी के उत्पाद - गुलाब शरबत का प्रचार करते समय की थी. एक वीडियो में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से हमदर्द की आत्मा अफजा पर निशाना साधा.
उन्होंने आगे दावा किया कि अन्य कंपनियां उनके पैसे का इस्तेमाल मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में कर रही हैं. रामदेव ने अपने वीडियो में `शरबत जिहाद` शब्द का भी इस्तेमाल किया. रामदेव ने कहा था, `अगर आप वो शरबत पिएंगे तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे और अगर आप पतंजलि का शरबत पिएंगे तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्यकुलम बनेंगे, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड आगे बढ़ेगा.` इसीलिए मैं कहता हूं कि यह `शरबत जिहाद` है. जिस तरह `लव जिहाद` और `वोटिंग जिहाद` चल रहा है, उसी तरह `शरबत जिहाद` भी चल रहा है.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि रामदेव की पतंजलि एक प्रसिद्ध ब्रांड है जो किसी अन्य उत्पाद को बदनाम किए बिना अपने उत्पाद बेच सकती है. वरिष्ठ वकील ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में रामदेव और उनके सहायक बालकृष्ण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई का भी उल्लेख किया. दिलचस्प बात यह है कि मुकुल रोहतगी ही उस समय पतंजलि के संस्थापकों की ओर से पेश हुए थे.
यह मामला कोविड के समय का है, जब पतंजलि ने 2021 में कोरोनिल नामक एक दवा लॉन्च की थी और रामदेव ने इसे "कोविड-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित दवा" बताया था. पतंजलि ने यह भी दावा किया कि कोरोनिल के पास विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रमाण पत्र है, लेकिन भारतीय चिकित्सा संघ ने इसे "सरासर झूठ" कहा.
आज दिल्ली उच्च न्यायालय में रामदेव की ओर से एक प्रॉक्सी वकील पेश हुआ और मुख्य वकील के उपलब्ध न होने के कारण उसे पेश होने की अनुमति मांगी. हालांकि, न्यायमूर्ति बंसल ने मुख्य अधिवक्ता को दोपहर में उपस्थित होने को कहा और संकेत दिया कि यदि वह उपस्थित नहीं हुए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है. रामदेव के वकील राजीव नायर बाद में अदालत में पेश हुए और कहा कि पतंजलि के संस्थापक हमदर्द उत्पाद के खिलाफ विज्ञापन वापस ले रहे हैं. इसके बाद अदालत ने रामदेव से यह वचन देने को कहा कि वह हमदर्द को ठेस पहुंचाने वाला कोई बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट प्रकाशित नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा है कि एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा और मामले की अगली सुनवाई एक मई को होगी.
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