Updated on: 03 November, 2025 05:00 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
संघीय जाँच एजेंसी ईडी ने पीएमएलए के तहत संपत्तियों को ज़ब्त करने के लिए चार अस्थायी आदेश जारी किए हैं, जिनमें मुंबई के पाली हिल स्थित 66 वर्षीय अंबानी का घर और अन्य आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियाँ शामिल हैं.
तस्वीर/आशीष राजे
अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं, क्योंकि जाँच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष से जुड़ी 3,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति ज़ब्त कर ली है. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि उनकी समूह कंपनियों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच के तहत उनकी संपत्तियों की ज़ब्ती की गई है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार संघीय जाँच एजेंसी ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संपत्तियों को ज़ब्त करने के लिए चार अस्थायी आदेश जारी किए हैं, जिनमें मुंबई के पाली हिल स्थित 66 वर्षीय अंबानी का घर और उनके समूह की कंपनियों की अन्य आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियाँ शामिल हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर की एक ज़मीन और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और पूर्वी गोदावरी) में कई अन्य संपत्तियाँ भी ज़ब्त की गई हैं. सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क की गई अनिल अंबानी की सभी संपत्तियों का कुल मूल्य 3,084 करोड़ रुपये है.
यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा जुटाए गए सार्वजनिक धन के कथित डायवर्जन और लॉन्ड्रिंग से संबंधित है. रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले 2017-2019 के दौरान, यस बैंक ने आरएचएफएल के उपकरणों में 2,965 करोड़ रुपये और आरसीएफएल के उपकरणों में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था. हालांकि, दिसंबर 2019 तक ये "गैर-निष्पादित" निवेश में बदल गए, जिसमें आरएचएफएल के लिए 1,353.50 करोड़ रुपये और आरसीएफएल के लिए 1,984 करोड़ रुपये बकाया थे, और इसलिए ईडी के अनुसार, धन शोधन संरक्षण अधिनियम के तहत जांच शुरू की गई थी. अंबानी के खिलाफ यह कार्रवाई कथित वित्तीय अनियमितताओं और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर सहित समूह की कई कंपनियों द्वारा 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण "डायवर्जन" से संबंधित है.
इस मामले में ईडी ने अगस्त में व्यवसायी से पूछताछ की थी, वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने 24 जुलाई को मुंबई में उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी भी ली थी. रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा, ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला केंद्रीय जाँच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है.
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