Updated on: 15 November, 2024 05:59 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
फडणवीस ने खुलासा किया कि एमवीए ने औपचारिक पत्र के माध्यम से उलेमा काउंसिल की 17 मांगों को स्वीकार कर लिया है.
भाजपा नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस। (तस्वीर/पीटीआई)
चुनावी राज्य महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुस्लिम धर्मगुरुओं की संस्था उलेमा काउंसिल की मांगों पर कथित तौर पर सहमत होने के लिए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की कड़ी आलोचना की है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार फडणवीस ने खुलासा किया कि एमवीए ने औपचारिक पत्र के माध्यम से उलेमा काउंसिल की 17 मांगों को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने विशेष रूप से एक मांग पर प्रकाश डाला, जिसमें 2012 से 2024 तक दंगों से संबंधित मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सभी मामलों को खारिज करने की मांग की गई थी.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "उलेमा काउंसिल ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा की, और उन्होंने 17 मांगें रखीं. उन्होंने (एमवीए) एक औपचारिक पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि हम इन 17 मांगों को स्वीकार करते हैं. अगर कोई कोई मांग रखता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है; मैं सिर्फ यह सवाल करता हूं कि इनमें से कौन सी मांगें स्वीकार्य हैं. मैं आपको एक मांग बताता हूं". "एक मांग यह है: 2012 से 2024 तक दंगों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सभी मामलों को खारिज किया जाना चाहिए और वापस लिया जाना चाहिए. मैं पूछना चाहता हूं कि यह किस तरह की राजनीति है."
फडणवीस ने इस तरह की राजनीतिक चालबाजी की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, "अगर कोई पार्टी ऐसे दंगाइयों को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहती है और हम बंटे रहेंगे (बटेंगे), तो हमें काट दिया जाएगा (काटेंगे)." रिपोर्ट के अनुसार उपमुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे का हवाला देते हुए धार्मिक एकता पर भाजपा के रुख पर जोर दिया. फडणवीस ने जोर देकर कहा, "जब योगी कहते हैं, `बटेंगे तो कटेंगे`, तो वह हमें इतिहास की याद दिला रहे हैं. यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे हमारे पूर्वजों की है, रजाकारों की नहीं." स्थिति को "धर्म युद्ध" (धार्मिक युद्ध) बताते हुए फडणवीस ने झूठ का विरोध करने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, "हमारा धर्म युद्ध `यतो धर्मस्ततो जयः` के सिद्धांत पर आधारित है - जहां सत्य है, वहां विजय है." उलेमा काउंसिल जैसे समूहों के साथ एमवीए के कथित गठबंधन के संदर्भ में, फडणवीस ने कहा, "अगर 1920 में कांग्रेस ने वंदे मातरम का केवल आधा हिस्सा गाने की मांग नहीं मानी होती, तो विभाजन का बीज तब नहीं बोया गया होता." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं के साथ समानताएं बताते हुए कहा कि सांप्रदायिक मांगों के लिए इस तरह की रियायतें अतीत में विभाजन में योगदान करती रही हैं और कहा, "इसलिए हमें `धर्म युद्ध` की आवश्यकता है - एक न्यायोचित लड़ाई." फडणवीस ने एमवीए पर राजनीतिक लाभ के लिए जाति और धार्मिक विभाजन का फायदा उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस की नीतियां संभावित रूप से एससी/एसटी समूहों के लिए आरक्षण को प्रभावित कर सकती हैं और ओबीसी समुदाय को विभाजित कर सकती हैं.
महायुति गठबंधन के सत्ता में आने पर संभावित मुख्यमंत्री के बारे में फडणवीस ने कहा, "कोई योजना नहीं है, कोई तारीख नहीं है. हमें यकीन है, हम अपनी सरकार बनाएंगे. जैसे ही नतीजे आएंगे, तीनों दल एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि किसे सीएम बनाया जाएगा... मैं इस प्रक्रिया में नहीं हूं. मैं अपनी पार्टी में एक क्षेत्रीय नेता हूं, यह सब राष्ट्रीय अध्यक्षों का खेल है."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT