Updated on: 16 October, 2024 06:36 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उन्होंने एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने आतिथ्य के लिए पाकिस्तानी पीएम को धन्यवाद दिया.
चित्र/X
विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद बुधवार को इस्लामाबाद से दिल्ली के लिए रवाना हुए. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने आतिथ्य के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री (पीएम) शहबाज शरीफ और उप प्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री इशाक डार को धन्यवाद दिया. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "इस्लामाबाद से प्रस्थान कर रहा हूं. आतिथ्य और शिष्टाचार के लिए पीएम शहबाज शरीफ, डीपीएम और एफएम इशाक डार और पाकिस्तान सरकार को धन्यवाद."
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रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले दिन में, इस्लामाबाद में एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक में अपने संबोधन के दौरान, विदेश मंत्री ने "आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया कि क्या दोनों देशों के बीच दोस्ती कम हुई है" या "अच्छे पड़ोसी" की कमी है. जयशंकर ने कहा, "अगर हम चार्टर की शुरुआत से लेकर आज की स्थिति तक तेजी से आगे बढ़ते हैं, तो ये लक्ष्य और ये कार्य और भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए, यह आवश्यक है कि हम एक ईमानदार बातचीत करें".
उन्होंने कहा, "यदि विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, यदि मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है, तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और कारणों को संबोधित करने के कारण हैं. समान रूप से, यह केवल तभी संभव है जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करते हैं, तभी हम सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से महसूस कर सकते हैं, जिसकी परिकल्पना इसमें की गई है." रिपोर्ट के अनुसार एससीओ शिखर सम्मेलन के अपने संबोधन के दौरान, मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को "तीन बुराइयां" भी कहा, जो देशों के बीच व्यापार और लोगों के बीच संबंधों में बाधा डालती हैं.
उन्होंने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की विशेषता रखती हैं, तो वे "समानांतर में व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने की संभावना नहीं रखते हैं." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, "हम सभी जानते हैं कि दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है. वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन ऐसी वास्तविकताएं हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता. कुल मिलाकर, उन्होंने व्यापार, निवेश, संपर्क, ऊर्जा प्रवाह और सहयोग के अन्य रूपों के संदर्भ में कई नए अवसर पैदा किए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर हम इसे आगे बढ़ाते हैं तो हमारे क्षेत्र को बहुत लाभ होगा. इतना ही नहीं, अन्य देश भी ऐसे प्रयासों से अपनी प्रेरणा और सबक प्राप्त करेंगे."
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