Updated on: 29 October, 2025 10:54 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भाजपा महाराष्ट्र के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबासाहेब ठाकरे का यथार्थबोध और विशाल मन आज के नेतृत्व में नहीं दिखता.
X/Pics, Keshav Upadhye
भाजपा महाराष्ट्र के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि “यथार्थ का बोध और विशाल मन बाबासाहेब ठाकरे के प्रमुख गुण थे, लेकिन वर्तमान नेतृत्व में इनका पूरी तरह अभाव है.”
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उपाध्ये ने लिखा कि उद्धव ठाकरे इस समय एक अलग ही भ्रम में जी रहे हैं. अगर ऐसा नहीं होता, तो वे यह नहीं कहते कि बालासाहेब ने राजनीति में हिंदुत्व लाकर गलती की. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे का यह बयान न केवल बाबासाहेब ठाकरे की विचारधारा के विपरीत है, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत को भी कमजोर करता है.
भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे का यह दावा कि भाजपा शिवसेना की वजह से बढ़ी, पूरी तरह भ्रमित सोच का परिणाम है. उन्होंने स्पष्ट किया, “शिवसेना के गठन से पहले महाराष्ट्र में जनसंघ था, और शिवसेना से गठबंधन से पहले भाजपा भी मौजूद थी. जनसंघ-भाजपा के महापौर, मेयर और विधायक पहले से थे. इसलिए भाजपा के नाम पर भावुक होने के बजाय, वास्तविक संख्याओं को देखना चाहिए.”
उपाध्ये ने अपने पोस्ट में लिखा कि बालासाहेब ठाकरे और प्रमोद महाजन दोनों ही मिलनसार और दूरदर्शी नेता थे. “हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना का गठबंधन हुआ था. तब भी मतभेद हुए, लेकिन प्रमोद महाजन और बालासाहेब की एक मुलाकात ने हर बार रिश्तों में सौहार्द बनाए रखा,” उन्होंने कहा.
वास्तवाचे भान व मोठं मन हे बाबासाहेबांचं वैशिष्ट्य होतं. त्याचाच नेमका अभाव विद्यमान उबाठा नेतृत्वात आहे. उध्दव ठाकरे सध्या वेगळ्या भ्रमात वावरत आहेत. तसे नसते, तर बाळासाहेबांनी राजकारणात हिंदुत्व आणून चूक केली, असे ते म्हणाले नसते.
— Keshav Upadhye (@keshavupadhye) October 29, 2025
शिवसेनेमुळे भाजपा वाढली हा त्यांचा असाच एक…
भाजपा प्रवक्ता ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया, “गोपीनाथ मुंडे ने इस मित्रता को आगे बढ़ाया. उस समय भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नितिन गडकरी चिमूर विधानसभा सीट को लेकर ज़िद कर रहे थे, जबकि शिवसेना इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी. गोपीनाथ मुंडे ने बालासाहेब से मुलाकात की और जमीनी हालात समझाए. मुंडे की बात सुनने के बाद बाबासाहेब ने तुरंत यह सीट भाजपा के लिए छोड़ दी.”
उपाध्ये ने अंत में कहा कि यह घटना दिखाती है कि बाबासाहेब ठाकरे का नेतृत्व विशाल हृदय और यथार्थबोध से परिपूर्ण था. आज के नेतृत्व में यह संतुलन और उदारता नदारद है, और यही शिवसेना की मौजूदा स्थिति का सबसे बड़ा कारण है.
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