Updated on: 29 April, 2025 08:44 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
एक वर्चुअल कार्यक्रम में इस समझौते पर मुहर लगाई गई. भारत विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए जेट खरीद रहा है.
गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान. तस्वीर/एएफपी
भारत और फ्रांस ने सोमवार को भारतीय नौसेना के लिए 63,000 करोड़ रुपये की लागत से राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एक वर्चुअल कार्यक्रम में इस समझौते पर मुहर लगाई गई. भारत विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख डसॉल्ट एविएशन से जेट खरीद रहा है.
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रिपोर्ट के मुताबिक हस्ताक्षर समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) द्वारा खरीद को मंजूरी दिए जाने के तीन सप्ताह बाद इस मेगा डील पर मुहर लगी. संदर्भ की शर्तों के तहत, अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लगभग पांच साल बाद जेट की डिलीवरी शुरू करनी होगी.
जुलाई 2023 में, रक्षा मंत्रालय ने प्लेटफॉर्म के विचार-विमर्श और मूल्यांकन परीक्षणों के बाद मेगा अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक स्वीकृति दी. रिपोर्ट के अनुसार सरकार-से-सरकार अनुबंध में 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर राफेल (मरीन) जेट शामिल हैं, जिन्हें भारतीय आवश्यकताओं और वाहक एकीकरण के लिए अनुकूलित किया गया है. इससौदे के तहत, भारतीय नौसेना को राफेल (मरीन) जेट के फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख निर्माता डसॉल्ट एविएशन से हथियार प्रणाली और पुर्जों सहित संबंधित सहायक उपकरण भी मिलेंगे. अनुबंध में रखरखाव, रसद, प्रशिक्षण और स्वदेशी घटक निर्माण के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है.
रक्षा सूत्रों ने पहले बताया था कि इस सौदे में भारतीय वायुसेना के लिए उपकरण और सॉफ़्टवेयर अपग्रेड शामिल होने की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक इसके अतिरिक्त, नौसेना को 4.5-पीढ़ी के राफेल जेट के संचालन का समर्थन करने के लिए अपने विमान वाहक पर विशेष उपकरण लगाने की आवश्यकता होगी. जबकि मिग-29K आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित होते रहेंगे, राफेल मरीन जेट के शामिल होने से नौसेना की हवाई शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है. आगे देखते हुए, भारतीय नौसेना स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट को शामिल करने की भी योजना बना रही है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आगामी दोहरे इंजन वाला डेक-आधारित लड़ाकू विमान, संभवतः उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) का नौसैनिक प्रतिरूप होगा, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया जा रहा है.
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