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भारत अपनी कक्षा में उपग्रहों की संख्या करेगा तीन गुनी

Updated on: 25 July, 2025 08:53 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन को जीपी बिड़ला स्मारक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अगले 15 वर्षों में भारत किसी भी अन्य देश के बराबर होगा.

इसरो अध्यक्ष ने यह भी बताया कि इस साल अंतरिक्ष एजेंसी ने 12 प्रक्षेपण यान मिशनों की योजना बनाई है. प्रतीकात्मक तस्वीर

इसरो अध्यक्ष ने यह भी बताया कि इस साल अंतरिक्ष एजेंसी ने 12 प्रक्षेपण यान मिशनों की योजना बनाई है. प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि देश को अगले तीन वर्षों में अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की संख्या वर्तमान 55 से लगभग तिगुनी करनी होगी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार  उन्होंने यह बात शुक्रवार को हैदराबाद में `भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम - उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और भविष्य के परिप्रेक्ष्य` पर जीपी बिड़ला स्मारक व्याख्यान के दौरान कही. अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन को प्रतिष्ठित जीपी बिड़ला स्मारक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अगले 15 वर्षों में भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अनुप्रयोग क्षेत्र और बुनियादी ढाँचे के मामले में किसी भी अन्य देश के बराबर होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक इसरो अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस वर्ष अंतरिक्ष एजेंसी ने 12 प्रक्षेपण यान मिशनों की योजना बनाई है. आगामी मिशन, नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार), 30 जुलाई को भारत के जीएसएलवी एफ16 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा. उन्होंने कहा, "अब हम अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर रहे हैं. हमारा अपना चंद्रयान लैंडिंग कराने वाला है. अभी, 55 उपग्रह कक्षा में हैं और देश के आम लोगों की सेवा कर रहे हैं. और अगले तीन वर्षों में, यह संख्या लगभग तीन गुना हो जानी चाहिए. आवश्यकता बहुत बड़ी है. माँग इतनी ज़्यादा है कि हमें उपग्रह बनाने ही होंगे. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं."


बाद में, पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि 2035 में भारत एक पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण करेगा और अगले तीन वर्षों में पहला मॉड्यूल कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि जहाँ तक अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों का सवाल है, इस पर बहुत काम चल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इसरो का कार्य मॉडल पहले सेवा-उन्मुख हुआ करता था, लेकिन अब वह व्यावसायिक अवसरों का भी लाभ उठाना चाहता है.नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, जापान भारत के साथ सहयोग करना चाहता था और इसी के परिणामस्वरूप, इसरो और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने चंद्रयान-5/LUPEX मिशन पर काम करने का फैसला किया. 


उन्होंने कहा, "हम मिलकर उपग्रह बना रहे हैं और प्रक्षेपण जापान द्वारा किया जाएगा. चंद्रयान-3 के लैंडर का भार 1,600 किलोग्राम था और यह 6,600 किलोग्राम होगा. हम इस पर काम कर रहे हैं और आपको अगले दो वर्षों में अच्छी खबर सुनने को मिलेगी." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने आगे बताया कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अगले तीन महीनों में स्वदेशी रॉकेटों का उपयोग करके अमेरिका के 6,500 किलोग्राम के संचार उपग्रह को कक्षा में प्रक्षेपित करने की प्रक्रिया में है. नारायणन ने आगे बताया कि केंद्र ने श्रीहरिकोटा में लगभग 4,000 करोड़ रुपये के बजट से तीसरा प्रक्षेपण स्थल स्थापित करने को अपनी मंज़ूरी दे दी है.

इसरो को उम्मीद है कि गगनयान मिशन 2027 की पहली तिमाही में ही भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर देगा. इसरो ने भारतीय रॉकेटों का उपयोग करके उन 34 देशों के 433 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है जिनके पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नहीं है. उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में इसरो ने 518 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं.


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