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नौसेना के लिए ISRO की बड़ी उपलब्धि, CMS-03 उपग्रह की सफल लॉन्चिंग

Updated on: 02 November, 2025 09:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

यह नौसेना की अंतरिक्ष-आधारित संचार और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमताओं को मज़बूत करेगा.

सीएमएस-03 संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

सीएमएस-03 संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 (GSAT-7R) संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है. यह उपग्रह नौसेना का अब तक का सबसे उन्नत उपग्रह है. यह नौसेना की अंतरिक्ष-आधारित संचार और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमताओं को मज़बूत करेगा. GSAT-7R एक संचार उपग्रह है, अर्थात यह संचार के साधन के रूप में कार्य करेगा. इसे पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया है. 

यह उपग्रह नौसेना के जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और समुद्री संचालन केंद्रों के बीच तेज़ और सुरक्षित संचार प्रदान करेगा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है. लगभग 4,400 किलोग्राम वज़नी, इसमें कई स्वदेशी घटक हैं जो विशेष रूप से नौसेना की ज़रूरतों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. 


आत्मनिर्भर भारत का यह एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ हमें अपनी तकनीक से शक्ति मिल रही है. इस उपग्रह को 2 नवंबर, 2025 को शाम 5:26 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया. यह इसरो केंद्र रॉकेट प्रक्षेपणों के लिए प्रसिद्ध है. इसरो के वैज्ञानिकों ने इसे विकसित करने के लिए महीनों कड़ी मेहनत की है.



उपग्रह की तकनीकी विशेषताएँ
भारतीय इंजीनियरों ने GSAT-7R के निर्माण में असाधारण रूप से अच्छा काम किया है. आइए इसकी प्रमुख विशेषताओं को समझते हैं...

⦁ वज़न और आकार: 4400 किलोग्राम वज़न वाला यह संचार उपग्रह भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह है. पिछले उपग्रह इससे हल्के थे.


⦁ ट्रांसपोंडर: ये उपग्रह के अंदर लगे संचार उपकरण हैं. ये कई बैंड (फ़्रीक्वेंसी रेंज) पर ध्वनि, डेटा और वीडियो लिंक को सपोर्ट करेंगे. इसका मतलब है कि नौसेना के जवान आसानी से संचार कर पाएँगे, चाहे वे अंतरिक्ष में हों या हवा में.

⦁ कवरेज क्षेत्र: यह हिंद महासागर क्षेत्र में मज़बूत दूरसंचार कवरेज प्रदान करेगा. इसका मतलब है कि हिंद महासागर के एक बड़े हिस्से में सिग्नल मज़बूत होंगे.

⦁ उच्च क्षमता बैंडविड्थ: यह उपग्रह अधिक डेटा स्थानांतरित करेगा. इससे जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और नियंत्रण केंद्रों के बीच एक सुरक्षित और निर्बाध संपर्क स्थापित होगा.

यह सब नौसेना की नौसैनिक उपस्थिति को मज़बूत करेगा. किसी भी खतरे की स्थिति में, तुरंत जानकारी उपलब्ध होगी. इन दिनों समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ काफ़ी बढ़ गई हैं. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के कारण हिंद महासागर में तनाव जारी है. GSAT-7R नौसेना को अंतरिक्ष से निगरानी करने और त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाएगा. नौसेना प्रमुख ने कहा है कि यह उपग्रह राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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