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leap year: जानिए क्या होता है लीप ईयर, हर तीन साल में फरवरी क्यों होती है 29 की

Updated on: 26 February, 2024 06:51 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

साल 2024 एक लीप ईयर या अधिवर्ष है. इस साल फरवरी में 28 दिन नहीं बल्कि 29 दिन होंगे. साल में 365 की जगह 366 दिन होंगे. क्या आपको पता है कि लीप ईयर में एक दिन ज्यादा कैसे होता है और कभी आपने सोचा है कि अगर लीप ईयर न हो तो क्या होगा?

प्रतिकात्मक तस्वीर

प्रतिकात्मक तस्वीर

साल 2024 एक लीप ईयर या अधिवर्ष है. इस साल फरवरी में 28 दिन नहीं बल्कि 29 दिन होंगे. साल में 365 की जगह 366 दिन होंगे. क्या आपको पता है कि लीप ईयर में एक दिन ज्यादा कैसे होता है और कभी आपने सोचा है कि अगर लीप ईयर न हो तो क्या होगा?

लीप ईयर क्यों आता है?


वैज्ञानिक भाषा में जाने तों लीप ईयर या अधिवर्ष का अर्थ होता है.पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365.242 दिनों का समय लगता है। यानी एक साल में अतिरिक्त 6 घंटे का वक्त लगता है. पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा में करने में लगे अतिरिक्त समय 0.242 दिन (6 घंटे) को अगर चार बार जोड़ा जाए तो एक दिन के बराबर होता है. यह बचा हुआ 0.242 दिन का समय चार वर्ष में जुड़ जाता है और एक दिन में परिवर्तित हो जाता है. साल 2020 में लीप ईयर मनाया गया था. साल 2024 भी इस साल लीप ईयर है. वहीं, अगला साल लीप ईयर 2028 है.


ऐसे जानें कौन सा साल है लीप ईयर

बेसिक आंकड़ों की मानें तो जिस साल में 4 से भाग दिया जाता है और वह पुरी तरह उससे विभाजित हो जाता है उसे लीप ईयर कहते हैं. उस साल 365 की जगह 366 दिन होते हैं.


ये है एक इतिहास की कहानी

अगर लीप ईयर के वैज्ञानिक कारण देखें तो जूलियस सीजर ने सौर कैलेंडर की शुरुआत की. उन्होंने मिश्र में बनाए कैलेंडर में हर चार साल में एक दिन जोड़ा था.लेकिन बाद में महसूस किया गया कि यह गलत है और सुधार की जरूरत है. ऐसे गणना में सामने आया कि 365.24219 दिन का समय लगता है.

इसके बाद पोप ग्रेगरी 13 ने इसमें एक छोटा सा बदलाव किया. उन्होंने हर चार साल में फरवरी में एक दिन जोड़ा और बताया कि सदी वाले साल में लीप ईयर का नियम नहीं लगेगा शर्त है कि वह 400 से विभाजित भी नहीं होना चाहिए.

 

 

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