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कुणाल कामरा को मिला शिवसेना (UBT) का समर्थन, उद्धव ठाकरे बोले– `उन्होंने व्यंग्य नहीं, सत्य गाया है`

Updated on: 25 March, 2025 11:35 AM IST | mumbai

शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कॉमेडियन कुणाल कामरा का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने व्यंग्य नहीं, बल्कि सत्य गाया है. कामरा के स्टूडियो में हुई तोड़फोड़ से शिवसेना का कोई संबंध नहीं है.

X/Pics, Uddhav Thackeray

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शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्टैंड-अप कॉमेडियन और राजनीतिक व्यंग्यकार कुणाल कामरा का खुलकर समर्थन किया है. हाल ही में कामरा द्वारा गाए गए एक राजनीतिक गीत को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसके बाद उनके स्टूडियो में तोड़-फोड़ की गई. इस घटना की पृष्ठभूमि में ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कामरा ने कोई व्यंग्य नहीं किया, बल्कि जनता की भावना को व्यक्त करते हुए सत्य का गीत गाया है.

 



 


उद्धव ठाकरे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि कुणाल कामरा ने कोई व्यंग्यात्मक गाना गाया है. उन्होंने एक ऐसा गीत गाया है जिसमें देश की जनभावना और सच्चाई को उजागर किया गया है. इस पर हमला करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है.” ठाकरे ने कहा कि शिवसेना (UBT) कुणाल कामरा के साथ मजबूती से खड़ी है.

कामरा के स्टूडियो में हुई तोड़फोड़ पर ठाकरे ने कहा कि इस घटना से शिवसेना का कोई लेना-देना नहीं है. “हम इस तरह की हिंसा में विश्वास नहीं रखते. जो लोग स्टूडियो में घुसे, वे शिवसैनिक नहीं थे. उन्हें यह गाना अपमानजनक लगा क्योंकि वह गाना गद्दार गुट के तथाकथित नेताओं की पोल खोलता है,” ठाकरे ने कहा.

उन्होंने यह भी कहा कि जब सच बोला जाता है, तो गद्दारों को चुभता है. लेकिन ये वही लोग हैं जो तब मौन रहते हैं जब छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया जाता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “प्रशांत कोरटकर जब अपमानजनक बयान देता है, या कोश्यारी जब मराठा स्वाभिमान पर सवाल उठाते हैं, तब इन तथाकथित राष्ट्रभक्तों की आवाज़ नहीं निकलती. राहुल सोलापुरकर का भी कोई विरोध नहीं करता.”

उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में जोर देते हुए कहा, “जो लोग खुलेआम चोरी करते हैं, सत्ता की लालसा में लोकतंत्र को कुचलते हैं, वही असली गद्दार हैं. हम सच बोलने वालों के साथ हैं.”

इस बयान से स्पष्ट है कि उद्धव ठाकरे न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़े हैं, बल्कि उन्होंने विरोधियों की चुनिंदा नैतिकता पर भी करारा वार किया है. राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर उनके इस समर्थन को लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूत आवाज़ के रूप में देखा जा रहा है.

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