होम > न्यूज़ > नेशनल न्यूज़ > आर्टिकल > कुणाल कामरा ने टी-सीरीज पर साधा निशाना कहा- `चापलूस बनना बंद करो`

कुणाल कामरा ने टी-सीरीज पर साधा निशाना कहा- `चापलूस बनना बंद करो`

Updated on: 27 March, 2025 10:50 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

वीडियो में कामरा ने बिना नाम लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर ‘गद्दार’ शब्द का उपयोग कर कटाक्ष किया था.

X/Pics, Kunal Kamra

X/Pics, Kunal Kamra

मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने देश की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में से एक टी-सीरीज पर जमकर निशाना साधा है. मामला उनके हाल ही में रिलीज़ हुए स्टैंड-अप वीडियो "नया भारत: ए कॉमेडी स्पेशल" से जुड़ा है, जिसे यूट्यूब से हटा दिया गया. कामरा का कहना है कि टी-सीरीज ने झूठे कॉपीराइट दावे के आधार पर यह वीडियो हटवाया है.

वीडियो में कामरा ने बिना नाम लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर ‘गद्दार’ शब्द का उपयोग कर कटाक्ष किया था. इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ और कामरा के वीडियो को यूट्यूब से ब्लॉक कर दिया गया. इसके बाद कामरा ने सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रखी और टी-सीरीज को सीधे-सीधे आड़े हाथों लिया.


 



 

अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, "हैलो @TSeries, चापलूस बनना बंद करो." उन्होंने साफ किया कि उनके वीडियो में किसी गाने के असली बोल या म्यूज़िक ट्रैक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. कामरा का कहना है कि उनका वीडियो एक पैरोडी (मज़ाकिया नकल) और व्यंग्य है, जो भारतीय कानून के अनुसार फेयर यूज़ की श्रेणी में आता है.

उन्होंने यह भी कहा, "अगर आप मेरे वीडियो को हटाते हो, तो फिर यूट्यूब पर मौजूद हर कवर सॉन्ग, डांस वीडियो और रील्स को भी हटाना होगा." कामरा ने टी-सीरीज को "एकाधिकार माफिया" बताते हुए कहा कि भारत में बड़े-बड़े ब्रांड्स रचनात्मक अभिव्यक्ति पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने अपने पोस्ट में रचनाकारों से अपील की कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें, क्योंकि यह सिर्फ एक वीडियो का मामला नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हो रहे दबाव का हिस्सा है.

पोस्ट के आखिर में कामरा ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "FYI, मैं तमिलनाडु में रहता हूं," जो यह दिखाता है कि वे किसी राजनीतिक या कानूनी दबाव से डरने वाले नहीं हैं.

यह पूरा मामला दिखाता है कि आज के समय में रचनात्मक आज़ादी और राजनीतिक व्यंग्य के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. क्या कॉमेडी अब भी सुरक्षित ज़ोन है? या फिर हर व्यंग्य सत्ता के लिए खतरा बन गया है?

 

अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK