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महाराष्ट्र सरकार: विशेष सत्र के दौरान मराठों को दी 10 प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक को मंजूरी

Updated on: 20 February, 2024 02:21 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मराठों को 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. एक दशक में यह तीसरी बार है जब इस तरह का कानून पेश किया गया है.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार के साथ/तस्वीर/पीटीआई

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार के साथ/तस्वीर/पीटीआई

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मराठों को 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. एक दशक में यह तीसरी बार है जब इस तरह का कानून पेश किया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने 20 फरवरी को जिस 10 फीसदी मराठा कोटा बिल को मंजूरी दी थी, वह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है, जो कि देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार द्वारा पेश किया गया था.


यह कदम मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल के दबाव के बाद उठाया गया है, जो जालना जिले के अंतरवाली सारती गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. कथित तौर पर, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद आरक्षण बढ़ाया गया था. मराठा समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए आयोग ने नौ दिनों के भीतर राज्य भर में लगभग 2.5 करोड़ घरों का सर्वेक्षण किया. आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए मौजूदा 10 प्रतिशत आरक्षण के सबसे बड़े लाभार्थी हैं.


रिपोर्ट्स की मानें तो एमएसबीसीसी के निष्कर्षों में कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण के 85 प्रतिशत लाभार्थी मराठा हैं. कथित तौर पर, समिति ने शिक्षा और रोजगार में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा, जैसा कि 2018 में पूर्ववर्ती देवेंद्र फड़नवीस सरकार द्वारा दिया गया था.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमजी गायकवाड़ के निर्देशन में, महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन जून 2017 में फड़नवीस सरकार द्वारा किया गया था और इसने पहले एक अध्ययन करने के बाद मराठों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के रूप में वर्गीकृत किया था. विशेष विधानसभा सत्र के दौरान आयोग की रिपोर्ट पेश किए जाने से पहले, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जोर देकर कहा था कि मराठाओं को आरक्षण कानून के अनुपालन में दिया जाएगा.


सीएम शिंदे ने कहा, "सर्वेक्षण लगभग 2-2.5 करोड़ लोगों पर किया गया है...इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ओबीसी समुदाय इस प्रक्रिया में पीछे न रहे, सरकार कैबिनेट समिति को रिपोर्ट पेश करेगी. 20 फरवरी को हमने एक बैठक बुलाई है." विधानसभा का विशेष सत्र, जिसके बाद मराठा आरक्षण कानून की शर्तों के अनुसार दिया जाएगा. ”

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