Updated on: 06 July, 2025 01:26 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की बात कही गई है.
X/Pics, Mahua Moitra
टीएमसी की फायरब्रांड नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने एक बार फिर केंद्र के एक संवैधानिक संस्थान को चुनौती दी है. इस बार निशाने पर है भारत निर्वाचन आयोग (ECI), जिसके बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के आदेश को लेकर महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग का यह निर्णय आगामी विधानसभा या लोकसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में अनावश्यक और संदिग्ध बदलावों का रास्ता खोल सकता है, जो लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है. उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप और संभावित धांधली की जमीन तैयार करने वाला कदम बताया है.
टीएमसी सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण ऐसे समय पर करना, जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, न केवल संदेह पैदा करता है, बल्कि इसके पीछे किसी खास दल को लाभ पहुंचाने की मंशा भी दिखाई देती है.
महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित करे, ताकि मतदाता सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग को इस तरह से बिना पारदर्शी प्रक्रिया के पुनरीक्षण की छूट मिलती रही, तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी और जनता का चुनाव प्रणाली पर विश्वास डगमगाएगा.
इस याचिका को लेकर चुनाव आयोग की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन राजनीतिक हलकों में इस कदम को टीएमसी द्वारा केंद्र सरकार और उसकी संस्थाओं पर बढ़ते दबाव के खिलाफ एक मजबूत रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा पहले भी केंद्र सरकार, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसे संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती रही हैं और अब चुनाव आयोग को लेकर उनका यह रुख विपक्षी दलों को एक नई बहस का मौका दे सकता है.
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