Updated on: 04 March, 2025 01:43 PM IST | Mumbai
सपकाल ने आगे कहा, "धनंजय मुंडे का इस्तीफा देने से सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती. असल सवाल यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया?"
X/Pics, Harshvardhan Sapkal
पवई झील के पास संतोष देशमुख की हत्या को लेकर महाराष्ट्र में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है. हत्यारों द्वारा की गई क्रूरता और अमानवीयता ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है. इस घटना की तस्वीरों और वीडियो ने हर किसी को द्रवित कर दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि यह कृत्य सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक घिनौना अपराध था.
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संतोष देशमुख की हत्या के बाद से पुलिस और सरकार के पास इस मामले के सारे सबूत मौजूद थे, फिर भी बीएमसी ने आरोपी धनंजय मुंडे को बचाने की कोशिश की. घटना के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आईं, उन पर पूरी राज्य सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में आ गई है. इस मामले में कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने आरोपी धनंजय मुंडे को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंकी, जबकि उन दोनों के पास इस मामले के सारे सबूत थे.
सपकाल ने आगे कहा, "धनंजय मुंडे का इस्तीफा देने से सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती. असल सवाल यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया?" उनका कहना था कि सरकार ने दो महीनों तक इस मामले को दबाने की कोशिश की, जबकि इस हत्या के वीडियो और तस्वीरें पहले ही पुलिस के पास थीं. यह साफ तौर पर दर्शाता है कि सरकार ने इस अमानवीय गिरोह का समर्थन किया, और वह मामले को दबाने का प्रयास कर रही थी.
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यदि जनता और मीडिया का दबाव नहीं होता, तो सरकार इस मामले को सुलझाने के बजाय इसे दबाने में सफल हो जाती. अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को अपनी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अब अफवाहें फैलाकर दोष से बचने की कोशिश कर रही है, लेकिन जनता उनकी सच्चाई जान चुकी है.
यह मामला सिर्फ संतोष देशमुख की हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की कार्यशैली और राजनीतिक नैतिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. अब कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए, ताकि राज्य की जनता को यह विश्वास हो सके कि उनके नेताओं में नैतिक जिम्मेदारी और प्रशासनिक ईमानदारी है.
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