Updated on: 23 September, 2024 06:15 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भारत को अमेरिकी सहयोग से अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा `सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट` मिलने जा रहा है.
नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
सेमीकंडक्टर भी अब भारत में बनेंगे. अभी तक भारत में सेमीकंडक्टर का आयात किया जाता रहा है. सेमीकंडक्टर प्लांट दोनों देशों के लिए सैन्य हार्डवेयर के साथ-साथ महत्वपूर्ण दूरसंचार नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग के लिए चिप्स का उत्पादन करेगा. भारत को अमेरिकी सहयोग से अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा `सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट` मिलने जा रहा है. यह न केवल भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला `मल्टी-मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट` होगा. ऐसे में ये प्लांट न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका के लिए भी बेहद अहम है. यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह पहली बार है कि अमेरिकी सेना इन उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए भारत के साथ साझेदारी करने पर सहमत हुई है. दरअसल, यह असैन्य परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण है. यह प्लांट ऐसे समय में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा जब पूरी दुनिया सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है.
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भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर प्लांट, दोनों देशों के लिए सैन्य हार्डवेयर के साथ-साथ महत्वपूर्ण दूरसंचार नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग के लिए चिप्स का उत्पादन करेगा. विलमिंगटन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच वार्ता के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की गई. मोदी-बिडेन वार्ता पर संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्टनरशिप को ऐतिहासिक समझौता बताया. यह परियोजना भारत सेमीकंडक्टर मिशन का समर्थन करेगी और भारत सेमी, थर्डटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी का हिस्सा होगी.
यह भारत का ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला मल्टी-मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट होगा, जिससे भारत में रोजगार भी बढ़ेगा. मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह पहली बार है कि अमेरिकी सेना इन उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए भारत के साथ साझेदारी करने पर सहमत हुई है और यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह नागरिक परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण है. भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान के अनुसार, राष्ट्रपति बिडेन और प्रधान मंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा, अगली पीढ़ी के दूरसंचार और हरित ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए उन्नत सेंसिंग, संचार और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित एक नया सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
दुनिया भर के देश इस समय सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहे हैं और भारत भी इसका अपवाद नहीं है. भारत अपनी सेमीकंडक्टर जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहता है. लेकिन पूरी दुनिया में बहुत कम कंपनियां हैं जो सेमीकंडक्टर चिप्स बनाती हैं. सेमीकंडक्टर के लिए पूरी दुनिया इन्हीं चुनिंदा कंपनियों पर निर्भर है. ऐसे में जब कोरोना काल आया तो दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की भारी कमी हो गई क्योंकि देशों के बीच व्यापार बंद था. इसके बाद भारत समेत कई देशों को एहसास हुआ कि मोबाइल से लेकर कारों तक में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर किसी देश की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकते हैं.
कोरोना महामारी के बाद सेमीकंडक्टर की कमी का असर इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर कार निर्माताओं तक पर देखा जा रहा है. ताइवान, दक्षिण कोरिया, चीन और जापान जैसे देश दुनिया के सबसे बड़े सेमीकंडक्टर उत्पादक देश हैं. लेकिन कई देशों के बीच चल रहे संघर्ष के कारण कई देशों को सेमीकंडक्टर की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) के पास वैश्विक चिप बाजार में बहुमत हिस्सेदारी है. लेकिन चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध का असर सप्लाई चेन पर पड़ रहा है. वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध का असर दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की आपूर्ति पर भी पड़ा है.
आज, हम 5G स्पीड पर मोबाइल फोन का उपयोग कर सकते हैं, जो केवल सेमीकंडक्टर के कारण ही संभव है. यह कहना गलत नहीं होगा कि सेमीकंडक्टरों ने सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति को संभव बनाया है. सेमीकंडक्टरों के कारण ही कंप्यूटर बिजली की गति से चलते हैं. अर्धचालक ट्रांजिस्टर, डायोड और एकीकृत सर्किट जैसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों का आधार हैं. इन घटकों का उपयोग कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है. सेमीकंडक्टर का उपयोग मोबाइल फोन, राउटर और स्विच जैसे संचार उपकरणों में भी किया जाता है. नवीनतम कारों में, सेमीकंडक्टर का उपयोग इंजन नियंत्रण, ब्रेक सिस्टम और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में किया जाता है. भारत में 2026 तक सेमीकंडक्टर खपत 80 बिलियन डॉलर होगी और 2030 तक यह आंकड़ा 110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सेमीकंडक्टर प्लांट के महत्व को समझा जा सकता है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाएगा. इससे रोजगार भी मिलेगा.
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