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पुणे में पुलिस पर महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप

Updated on: 04 August, 2025 06:23 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

यह महिला कुछ समय के लिए उनके साथ रही थी. इन आरोपों के बाद,राजनीतिक दलों ने कोथरूड पुलिस स्टेशन के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

पुणे पुलिस ने तीनों महिलाओं के दावों का खंडन किया है. प्रतीकात्मक तस्वीर/फ़ाइल

पुणे पुलिस ने तीनों महिलाओं के दावों का खंडन किया है. प्रतीकात्मक तस्वीर/फ़ाइल

महाराष्ट्र के पुणे की तीन महिलाओं ने आरोप लगाया है कि छत्रपति संभाजीनगर से लापता हुई एक महिला से संबंधित जांच के दौरान पुलिसकर्मियों ने उनका शारीरिक उत्पीड़न किया और जातिवादी टिप्पणियां कीं. यह महिला कुछ समय के लिए उनके साथ रही थी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इन आरोपों के बाद, वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) सहित राजनीतिक दलों ने कोथरूड पुलिस स्टेशन के संबंधित अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. 

रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) के विधायक रोहित पवार रविवार रात तीनों महिलाओं और कुछ कार्यकर्ताओं के साथ पुणे पुलिस आयुक्तालय गए और संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) रंजन कुमार शर्मा से मुलाकात की और पुलिसकर्मियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की. हालांकि, पुणे पुलिस ने तीनों महिलाओं के दावों का खंडन किया है. कार्यकर्ताओं के अनुसार, कोथरुड और छत्रपति संभाजीनगर पुलिस थानों के पुलिसकर्मी शुक्रवार को तीन महिलाओं के किराए के मकान में घुस आए. वे एक महिला के गुमशुदगी की शिकायत की जाँच कर रहे थे, जो उनके साथ रहती थी. एक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना वारंट के तलाशी ली और तीनों को थाने ले गई.


उन्होंने कहा, "एक महिला अधिकारी सहित पुलिस दल ने कथित तौर पर महिलाओं के साथ मारपीट की और जातिवादी टिप्पणियाँ कीं, जिनमें से कुछ में यौन-संबंध भी थे. उन्हें कई घंटों बाद छोड़ दिया गया." रिपोर्ट के अनुसार  बाद में तीनों महिलाओं ने पुलिस थाने का रुख किया और संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की. रोहित पवार ने कहा, "मराठवाड़ा की एक महिला पारिवारिक मामले में न्याय की लड़ाई लड़ने पुणे आई थी और कोथरुड में अपने दोस्त के साथ रुकी थी. पुलिस ने बिना वारंट के जाँच की और इस दौरान जातिवादी टिप्पणियाँ कीं." उन्होंने कहा, "संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. युवती का मामला और जातिवादी टिप्पणी की घटना, दोनों ही गंभीर मुद्दे हैं. इन आरोपों की प्रकृति के बावजूद, पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की है. यह पुलिस प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है."


इस बीच, पुलिस ने तीनों महिलाओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है. रिपोर्ट के मुताबिक कोथरुड पुलिस स्टेशन द्वारा महिलाओं को जारी एक पत्र में कहा गया है, "प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं. इसलिए, अत्याचार अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता."


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