Updated on: 17 August, 2024 01:55 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने भारत की अटूट प्रतिबद्धता का आश्वासन भी दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विकासशील देशों, खासकर खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में वैश्विक अनिश्चितताओं के परिणामों पर चिंता जताई. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने भाग लेने वाले देशों को डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र सहित विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में उन्हें पूर्ण समर्थन देने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता का आश्वासन भी दिया.
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रिपोर्ट के मुताबिक वर्चुअल रूप से आयोजित हो रहे शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने कहा, "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच है जहां हम उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहे हैं, जिनकी आवाज अनसुनी रह गई. मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में निहित है और हम एक नई दिशा में आगे बढ़ेंगे." उन्होंने कहा, "अगले महीने, संयुक्त राष्ट्र `भविष्य के शिखर सम्मेलन` का आयोजन कर रहा है, जहां `भविष्य के लिए समझौते` पर विचार-विमर्श चल रहा है. क्या हम एकजुट होकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना सकते हैं ताकि हम इस समझौते के माध्यम से ग्लोबल साउथ की आवाज उठा सकें, जो ग्लोबल साउथ की आवाज को सशक्त बना सके".
भारत ने वर्चुअल प्रारूप में ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी की. रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी ने कहा, "आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है. दुनिया अभी भी कोविड के प्रभाव से पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाई है. दूसरी ओर, युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं." उन्होंने कहा, "हम न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं." प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की चुनौतियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं." पीएम मोदी ने कहा, "प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से जुड़ी नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां भी उभर रही हैं."
उन्होंने कहा, "पिछली सदी में बनाए गए वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान इस सदी की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ रहे हैं." रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच बन गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 में भारत के नेतृत्व के दौरान, इसने वैश्विक दक्षिण की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर समूह का एजेंडा बनाया. मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने विकासोन्मुख दृष्टिकोण के साथ जी-20 को आगे बढ़ाया. पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक दक्षिण की ताकत इसकी एकता में निहित है, उन्होंने कहा, "इस एकता के बल पर हम एक नई दिशा की ओर बढ़ेंगे".
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