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Opposition`s sharp attack on Devendra Fadnavis: जन सुरक्षा अधिनियम से मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला, विपक्षी दल मैदान में

Updated on: 15 August, 2025 09:49 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मुंबई में आयोजित जन सुरक्षा कानून विरोधी संघर्ष समिति के सम्मेलन में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोला.

X/Pics, Harshvardhan Sapkal

X/Pics, Harshvardhan Sapkal

मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में आयोजित जन सुरक्षा कानून विरोधी संघर्ष समिति के संकल्प सम्मेलन में विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने जन सुरक्षा के नाम पर लाया गया यह कानून असल में लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का हथियार है. उनका कहना था कि मुख्यमंत्री दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं और गोलवलकर के विचारों को देश पर थोपने के लिए यह कानून रचा गया है.

 



 


सपकाल ने कटाक्ष किया, “मोदी के बाद उत्तर भारत का एक ‘पिता’ पीएम पद के लिए आगे है, और फडणवीस अपने ही लोगों की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं. यह कानून सत्ता के लालच और ठेकेदारों की जमात के लिए है.” उन्होंने कहा कि आज की सरकार अंग्रेजों के ‘जेल, डाक और रेल’ वाले फॉर्मूले पर काम कर रही है—अंतर बस इतना है कि पत्रों की जगह इंटरनेट और डाक पर नियंत्रण कर लिया गया है. विश्वविद्यालय बदहाल हैं, जबकि “हॉट्स ऐप यूनिवर्सिटी” खूब फल-फूल रही है. जो भी सरकार के खिलाफ बोलेगा, उसे जेल में ठूंसने की तैयारी है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पास वेतन देने के पैसे नहीं, लेकिन शक्ति पीठ राजमार्ग के लिए 88 हजार करोड़ हैं—जो एक उद्योगपति के हित में है—और मुंबई की जमीन भी दूसरे उद्योगपति को सौंप दी गई है. “यह सरकार बुलडोजर से लोकतंत्र को भी कुचल सकती है,” सपकाल ने कहा.

कांग्रेस ने इस कानून के विरोध में राज्यभर में मशाल जुलूस और प्रतीकात्मक ‘होली’ जलाई है. सपकाल ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस कानून का विरोध जारी रखेगी.

कार्यक्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि भले ही दल अलग-अलग चुनाव लड़ें, लेकिन आज लोकतंत्र बचाने की राष्ट्रीय आवश्यकता के तहत सब एकजुट हैं. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के मूल्य पर संकट है, संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं, न्यायपालिका में घुसपैठ है—एक पार्टी के लिए काम करने वाले को न्यायाधीश बनाया गया है.” पवार के अनुसार, जन सुरक्षा अधिनियम विचारों और मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है. उन्होंने आह्वान किया कि अब जनता को सरकार को उसकी जगह दिखानी होगी, और इसके लिए वे पूरी ताकत से साथ खड़े हैं.

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