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वोट चोरी पर संसद से सड़क तक हंगामा, राहुल गांधी और विपक्षी नेता पुलिस के कब्जे में

Updated on: 11 August, 2025 01:35 PM IST | Mumbai

वोट चोरी के मुद्दे पर संसद से सड़क तक जोरदार हंगामा मचा। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन किया.

संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान राहुल गांधी.

संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान राहुल गांधी.

राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में हेराफेरी और “वोट चोरी” का आरोप लगाए जाने के बाद देश का सियासी पारा तेज़ी से चढ़ गया है. बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, शरद पवार समेत कई बड़े नेताओं ने संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक विरोध मार्च निकाला, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही परिवहन भवन के पास रोक दिया.

 



 


प्रदर्शनकारी सांसद सफेद टोपी पहने थे, जिन पर लाल क्रॉस के साथ “SIR” और “वोट चोरी” लिखा हुआ था. हाथों में बैनर और तख्तियां लिए विपक्षी सांसद नारेबाज़ी कर रहे थे — “SIR + वोट चोरी = लोकतंत्र की हत्या” और “SIR - लोकतंत्र पर वार” जैसे संदेश हवा में गूंज रहे थे. मार्च की शुरुआत संसद के मकर द्वार से हुई, जहां सांसदों ने राष्ट्रगान गाकर विरोध की शुरुआत की.

पुलिस ने संसद मार्ग पर कड़े इंतज़ाम किए, बैरिकेड्स लगाए और लाउडस्पीकर से सांसदों को आगे न बढ़ने की चेतावनी दी. बावजूद इसके, महुआ मोइत्रा, सुष्मिता देव, संजना जाटव और जोथिमणि जैसी महिला सांसद बैरिकेड्स पर चढ़ गईं और चुनाव आयोग के खिलाफ जमकर नारे लगाए.

विरोध मार्च में टीआर बालू (द्रमुक), संजय राउत (शिवसेना-उद्धव गुट), डेरेक ओ`ब्रायन (टीएमसी), प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव सहित द्रमुक, राजद और वामपंथी दलों के कई सांसद शामिल हुए.

विपक्ष का आरोप है कि SIR अभियान का असली मकसद बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को सूची से हटाकर उनके मताधिकार से वंचित करना है. राहुल गांधी के “वोट चोरी” आरोप को चुनाव आयोग पहले ही खारिज कर चुका है, लेकिन विपक्ष इसे सरकार और आयोग की “मिलीभगत” बता रहा है.

संसद के मानसून सत्र में 21 जुलाई से ही यह मुद्दा प्रमुख रूप से छाया हुआ है. SIR के विरोध में बार-बार कार्यवाही बाधित हो रही है और विपक्ष लगातार चर्चा की मांग कर रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि यह सिर्फ बिहार का मामला नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है.

साफ है कि “वोट चोरी” का यह विवाद सिर्फ संसद की बहस तक सीमित नहीं रहेगा — इसकी गूंज आने वाले चुनावों में भी सुनाई देगी.

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