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बेंगलुरु भगदड़ केस में आरसीबी मार्केटिंग प्रमुख को नहीं मिली राहत

Updated on: 10 June, 2025 03:45 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

अदालत ने उनकी याचिका पर अपना आदेश 11 जून तक सुरक्षित रख लिया. सोसले को 6 जून को बेंगलुरु के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर केंद्रीय अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था, जब वह दुबई जाने वाले थे.

अदालत ने उनकी याचिका पर अपना आदेश 11 जून तक सुरक्षित रख लिया है. फोटो/एएफपी

अदालत ने उनकी याचिका पर अपना आदेश 11 जून तक सुरक्षित रख लिया है. फोटो/एएफपी

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के मार्केटिंग प्रमुख निखिल सोसले को 4 जून को स्टेडियम में मची भगदड़ में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने उनकी याचिका पर अपना आदेश 11 जून तक सुरक्षित रख लिया. सोसले को 6 जून को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर केंद्रीय अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था, जब वह दुबई जाने वाले थे.

रिपोर्ट के मुताबिक अपनी याचिका में सोसले ने 6 जून की सुबह की अपनी गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस की कार्रवाई राजनीतिक निर्देशों से प्रभावित थी. न्यायमूर्ति एस आर कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने कल अंतरिम आदेश सुनाने से पहले सोसले के वकील और राज्य दोनों की दलीलें सुनीं. 


सोसले का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस चौटा ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए की गई थी, खासकर तब जब जांच पहले ही आपराधिक जांच विभाग (CID) को स्थानांतरित कर दी गई थी. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 55 का हवाला देते हुए चौटा ने तर्क दिया, "वे कह रहे हैं कि एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में वे (सीसीबी) गिरफ़्तारी कर सकते हैं. लेकिन अगर वह शक्ति मौजूद भी है, तो उसे गिरफ़्तारी के समय लिखित रूप में और सूचित किया जाना चाहिए." जज ने सवाल किया, "आखिरकार, सवाल स्वतंत्रता का है. भले ही अपराध सात साल से ज़्यादा की सज़ा का हो, लेकिन जब तक कि विश्वास करने के लिए विश्वसनीय कारण और रिकॉर्ड पर सामग्री न हो, आप किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकते," उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा. 


कोर्ट ने मामले को सीआईडी को सौंपने की अधिसूचना पर भी स्पष्टता मांगी और सवाल किया कि सीसीबी ने अचानक जांच में हस्तक्षेप क्यों किया. "समस्या यह है कि सीसीबी अचानक आ गई. सभी लोगों को बस इतना पता है कि जांच सीआईडी को सौंपी गई थी. फिर सुबह सीसीबी ने सोसाले को गिरफ़्तार कर लिया. इस बीच क्या हुआ". रिपोर्ट के मुताबिक चौटा ने समय-सीमा में विसंगतियों की ओर इशारा किया और गिरफ़्तारियों के आधार पर सवाल उठाया. उन्होंने सवाल किया, "शमंत नामक एक फ्रीलांसर की पहली गिरफ्तारी सुबह 3 बजे अशोक नगर पुलिस द्वारा की गई थी. सोसले को सीसीबी ने सुबह 3.30 बजे गिरफ्तार किया. इसके बाद सुबह 4 बजे दो और गिरफ्तारियां हुईं. उसके बाद पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया. सीसीबी को किस कानूनी प्रक्रिया के तहत कदम उठाने का अधिकार दिया गया." उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सोसले और गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की एफआईआर में कोई स्पष्ट भूमिका नहीं बताई गई है. चौटा ने कहा, "एफआईआर में केवल `इकाइयों` का उल्लेख है. किसी व्यक्ति का नाम नहीं है. तो क्या आरसीबी, केएससीए और डीएनए के सभी सदस्य अब गिरफ्तारी के लिए उचित हैं? अपराध के कोई तत्व मौजूद नहीं हैं. यह मनमाना लगता है". 

उन्होंने आगे कहा कि गिरफ्तारी के समय सोसले को अनिवार्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए थे, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह उचित प्रक्रिया का उल्लंघन है. राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक बी ए बेलियप्पा अतिरिक्त लोक अभियोजक बी एन जगदीश के साथ पेश हुए, जिन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष सीसीबी की संलिप्तता को उचित ठहराने के लिए दस्तावेज पेश करेगा. जगदीश ने अदालत को बताया, "हिरासत 6 जून को हुई थी. हम एक विस्तृत समयरेखा तैयार कर रहे हैं, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे एक वरिष्ठ अधिकारी के आदेश के माध्यम से सीसीबी को इसमें शामिल किया गया. यह सब काले और सफेद रंग में है." न्यायाधीश ने जवाब दिया कि वह जांच करेंगे कि 5 जून की रात और 6 जून की सुबह के बीच की कानूनी प्रक्रिया राज्य के दावे को पुष्ट करती है या नहीं. राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा. जब चौटा ने सोसाले के लिए अंतरिम जमानत मांगी, तो एजी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राज्य का पूरा जवाब अगले दिन पेश किया जाएगा. 


न्यायमूर्ति कृष्ण कुमार ने दर्ज किया कि याचिकाकर्ता के वकील की पूरी बात सुनी गई है और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 11 जून को पोस्ट किया है. सुनवाई में घटना के बड़े संदर्भ पर भी चर्चा हुई, जिसमें 11 लोगों की जान लेने वाली और दर्जनों लोगों के घायल होने की त्रासदी के बाद राजनीतिक घटनाक्रम और प्रशासनिक कार्रवाई शामिल है. अदालत ने घटना से संबंधित एक स्वप्रेरित जनहित याचिका का भी उल्लेख किया, जिस पर सुनवाई 12 जून तक के लिए स्थगित कर दी गई है.

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