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पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे सरदार पटेल

Updated on: 31 October, 2025 06:12 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस परेड के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि घुसपैठ जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ रही है.

तस्वीर/पीटीआई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरदार पटेल अन्य रियासतों की तरह पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस परेड के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि घुसपैठ भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ रही है, जिसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई का फैसला किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक मोदी ने कहा, "सरदार पटेल का मानना था कि इतिहास लिखने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, बल्कि इतिहास रचने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि सरदार पटेल ने आजादी के बाद 550 से ज़्यादा रियासतों को एक करने का असंभव सा लगने वाला काम पूरा किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने जो नीतियां बनाईं, जो फैसले लिए, उन्होंने नया इतिहास रचा. मोदी ने कहा, "एक भारत, श्रेष्ठ भारत का विचार उनके लिए सर्वोपरि था."


उन्होंने कहा, "सरदार पटेल चाहते थे कि पूरे कश्मीर क्षेत्र का भारत में विलय हो, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने अन्य रियासतों का किया था. लेकिन नेहरूजी ने उनकी यह इच्छा पूरी नहीं होने दी. कश्मीर का विभाजन कर दिया गया, उसे अलग संविधान और अलग झंडा दे दिया गया - और कांग्रेस की गलती के कारण देश को दशकों तक कष्ट सहना पड़ा." रिपोर्ट के अनुसार  सरदार पटेल के लिए देश की संप्रभुता सर्वोपरि थी, लेकिन उनके निधन के बाद के वर्षों में, आने वाली सरकारों ने देश की संप्रभुता को लेकर उतनी गंभीरता नहीं दिखाई, मोदी ने कहा. उन्होंने कहा, "कश्मीर में हुई गलतियाँ, पूर्वोत्तर में उत्पन्न समस्याएँ और पूरे देश में फैला नक्सली-माओवादी आतंकवाद, ये सभी देश की संप्रभुता के लिए गंभीर चुनौतियाँ थीं." प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल की नीतियों का पालन करने के बजाय, उस दौर की सरकारों ने एक रीढ़विहीन दृष्टिकोण अपनाया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस की कमज़ोर नीतियों के कारण कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया, जिसने फिर राज्य प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा दिया. कश्मीर और देश ने इसकी भारी कीमत चुकाई, फिर भी कांग्रेस हमेशा आतंकवाद के आगे झुकी रही. वह सरदार पटेल के दृष्टिकोण को भूल गई, लेकिन हम नहीं." प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 की "बेड़ियाँ" तोड़कर कश्मीर पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो गया है. प्रधानमंत्री ने कहा, "आज पाकिस्तान और आतंकवादी भी भारत की असली ताकत जानते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखा कि अगर कोई भारत पर बुरी नज़र डालेगा, तो हम उसके घर में घुसकर उसे खत्म कर देंगे. यह सरदार पटेल का भारत है."



पिछले 11 वर्षों में नक्सली आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक देश से इस खतरे का सफाया नहीं हो जाता. रिपोर्ट के मुताबिक  मोदी ने कहा, "2014 से पहले देश के लगभग 125 ज़िले माओवादी आतंकवाद से प्रभावित थे. आज यह घटकर 11 ज़िले रह गए हैं. इनमें भी नक्सलवाद केवल तीन ज़िलों में ही व्याप्त है." उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी भारत की एकता और आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर ख़तरा हैं. उन्होंने आरोप लगाया, "ये अवैध प्रवासी हमारे संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं और जनसांख्यिकीय संतुलन बिगाड़ रहे हैं, जिससे देश की एकता खतरे में पड़ रही है. लेकिन पिछली सरकारों ने सिर्फ़ वोट बैंक की राजनीति के लिए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आँखें मूंद ली थीं." प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने घुसपैठियों के ख़िलाफ़ निर्णायक लड़ाई लड़ने का फ़ैसला कर लिया है. "अगर देश की सुरक्षा और पहचान ख़तरे में है, तो हर नागरिक ख़तरे में होगा. आज, राष्ट्रीय एकता दिवस पर, हमें अपने संकल्प की फिर से पुष्टि करनी चाहिए. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत में रहने वाले हर अवैध प्रवासी को निकाला जाए."

मोदी ने पूछा, "राजनीतिक अस्पृश्यता को देश में एक संस्कृति बना दिया गया था. हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस सरकारों के शासनकाल में सरदार पटेल और उनकी विरासत का क्या हुआ. इन लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर के साथ उनके जीवनकाल में और उनकी मृत्यु के बाद भी क्या किया? उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. लोहिया और जयप्रकाश नारायण के साथ क्या किया". उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी हमले और षड्यंत्र किए गए. प्रधानमंत्री ने कहा, "जिस दिन कांग्रेस ने `वंदे मातरम` को तोड़ने और विभाजित करने का फैसला किया, उसी दिन भारत के विभाजन की नींव रख दी गई. अगर वह पाप न किया गया होता, तो आज भारत की तस्वीर बिल्कुल अलग होती."


कुछ राज्यों में भाषा विवाद के बीच प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक भाषा राष्ट्रीय भाषा है और किसी भी भाषा को दूसरों पर थोपने का कभी प्रयास नहीं किया गया. भाषा को भारत की एकता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ इसकी खुली और रचनात्मक सोच का प्रतीक हैं. मोदी ने कहा, "यही कारण है कि भारत भाषाई रूप से इतना समृद्ध राष्ट्र बना है. हमारी भाषाओं ने, संगीत के विभिन्न सुरों की तरह, हमारी पहचान को मज़बूत किया है." उन्होंने कहा कि हर भारतीय भाषा को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं. मोदी ने कहा, "हमें गर्व है कि भारत के पास तमिल है, जो दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है. हमारे पास संस्कृत जैसा ज्ञान का भंडार है." उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि हर बच्चा अपनी मातृभाषा में आगे बढ़े. अपने भाषण से पहले, मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का निरीक्षण किया, जिसमें पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों ने भाग लिया.

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