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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए प्राथमिकता के आधार पर स्पेशल POCSO कोर्ट स्थापित करने के निर्देश

Updated on: 15 May, 2025 08:06 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पी बी वराले की पीठ ने कहा कि POCSO मामलों के लिए पर्याप्त विशेष अदालतों की कमी के कारण देरी हो रही है, जिससे मुकदमे पूरे नहीं हो पा रहे हैं.

फ़ाइल चित्र

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों को विशेष रूप से निपटाने के लिए "सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर" समर्पित POCSO अदालतें स्थापित करे. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पी बी वराले की पीठ ने कहा कि POCSO मामलों के लिए पर्याप्त विशेष अदालतों की कमी के कारण देरी हो रही है, जिससे कानून द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर मुकदमे पूरे नहीं हो पा रहे हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने कहा, "इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि भारत संघ और राज्य सरकारें POCSO मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उचित कदम उठाएंगी और POCSO मामलों की सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए समर्पित अदालतें भी बनाएंगी." शीर्ष अदालत ने कानून में निर्धारित अनिवार्य अवधि के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने के अलावा निर्धारित समय सीमा के भीतर मुकदमे पूरे करने का भी निर्देश दिया.


शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने केंद्र से वित्त पोषण प्राप्त करके POCSO मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के निर्देशों का अनुपालन किया है, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में ऐसे लंबित मामलों को देखते हुए अधिक POCSO अदालतों की आवश्यकता है. रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत ने पहले वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र वी गिरी और वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तरा बब्बर को POCSO अदालतों की स्थिति पर राज्यवार विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्वत: संज्ञान मामले में "बाल बलात्कार की घटनाओं की संख्या में खतरनाक वृद्धि" को रेखांकित किया गया था.


राज्यों से शीर्ष अदालत ने उन जिलों में दो नामित अदालतें स्थापित करने को कहा जहां POCSO अधिनियम के तहत बाल शोषण के लंबित मामलों की संख्या 300 से अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक इसने यह स्पष्ट किया कि POCSO अधिनियम के तहत 100 से अधिक एफआईआर वाले प्रत्येक जिले में एक अदालत स्थापित करने के जुलाई 2019 के निर्देश का मतलब था कि एक नामित अदालत केवल कानून के तहत ऐसे मामलों से निपटेगी.


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