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दिल्ली दंगे के आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने दी पैरोल, इंटेलिजेंस ब्यूरो के आदमी की हत्या का है आरोप

Updated on: 28 January, 2025 08:48 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

हिरासत पैरोल के तहत एक कैदी को सशस्त्र पुलिसकर्मियों द्वारा मुलाकात के स्थान पर ले जाया जाता है.

फ़ाइल चित्र

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फरवरी 2020 के दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए छह दिन की हिरासत पैरोल दी, जो एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार हिरासत पैरोल के तहत एक कैदी को सशस्त्र पुलिसकर्मियों द्वारा मुलाकात के स्थान पर ले जाया जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की पूर्ण पीठ ने 29 जनवरी से 3 फरवरी तक पुलिस हिरासत में प्रचार करने की हुसैन की याचिका को स्वीकार कर लिया.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल मैनुअल के अनुसार हुसैन को केवल 12 घंटे के लिए सुरक्षा के साथ जेल से बाहर जाने की अनुमति होगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्व पार्षद सुबह करीब 6 बजे जेल से बाहर निकल सकते हैं और शाम 6 बजे तक वापस आ सकते हैं.


पीठ ने कहा कि हुसैन की हिरासत पैरोल के लिए पुलिस एस्कॉर्ट सहित सुरक्षा खर्च के हिस्से के रूप में प्रतिदिन 2.47 लाख रुपये जमा करने होंगे. रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि हुसैन को अपने करावल नगर स्थित घर पर नहीं जाना चाहिए, जो 2020 के दंगों का कथित स्थल है, और मामले की योग्यता पर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी करने से भी बचना चाहिए.


सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आदेश को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा क्योंकि इसे मामले के "विचित्र तथ्यों और परिस्थितियों" में पारित किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में हुसैन की जमानत याचिका पर पीठ के आदेश से प्रभावित हुए बिना उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगों में उनकी भूमिका गंभीर थी. राजू ने कहा कि अगर राहत दी जाती है, तो हर कोई जेल में नामांकन भरेगा. ताहिर हुसैन 22 जनवरी को अंतरिम जमानत हासिल करने में विफल रहे, जब सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने विभाजित फैसला सुनाया.


24 फरवरी, 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा भड़क उठी, जिसमें 53 लोग मारे गए और कई घायल हो गए. हुसैन इंटेलिजेंस ब्यूरो के अंकित शर्मा की मौत से जुड़े एक मामले में आरोपी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि उनका बेटा शर्मा पिछले दिन से लापता है. उसका शव कथित तौर पर दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से मिला था और उस पर 51 चोटों के निशान थे. 22 जनवरी को, जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हुसैन की याचिका पर विभाजित फैसला सुनाया.

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