होम > न्यूज़ > नेशनल न्यूज़ > आर्टिकल > चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट पर बोला सुप्रीम कोर्ट- `देखना, प्रदर्शित करना और डाउनलोड करना है अपराध`

चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट पर बोला सुप्रीम कोर्ट- `देखना, प्रदर्शित करना और डाउनलोड करना है अपराध`

Updated on: 23 September, 2024 07:16 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे कंटेंट को देखना, प्रकाशित करना और डाउनलोड करना कानूनी अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंटेंट को देखना, प्रकाशित करना और डाउनलोड करना अपराध है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसने इसे अपराध के दायरे में नहीं माना था. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने की. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह `बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री` शब्द का इस्तेमाल करें.


जस्टिस जेबी पारदीवाला ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा, ``आपने (मद्रास हाई कोर्ट) आदेश में गलती की है. इसलिए हमने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को वापस सत्र न्यायालय में भेज दिया. दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महज बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना POCSO एक्ट या आईटी एक्ट के दायरे में नहीं आता है.


इसके आधार पर, मद्रास उच्च न्यायालय ने मोबाइल फोन में बच्चों की अश्लील तस्वीरें रखने के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ चल रहे मामले को रद्द कर दिया. आपको बता दें कि बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कई संगठनों ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को `बाल पोर्नोग्राफ़ी` शब्द को `बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री` (सीएसईएएम) शब्द से बदलने के लिए POCSO में संशोधन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. ताकि ऐसे अपराधों की हकीकत को और अधिक सटीकता से दिखाया जा सके. अदालत ने माना कि इन धाराओं के तहत पुरुषों का निर्धारण एक्टस रेस (दोषी अधिनियम) द्वारा किया जाना चाहिए. इसमें यह देखना चाहिए कि आइटम को कैसे संग्रहीत या हटाया गया था.


गुजरात के उमरगाम में तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में वलसाड पुलिस ने महज नौ दिन में कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया है और आरोपी गुलाम मुस्तफा मोहम्मद खलीफा को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं. उमरगाम के गांधीवाड़ी में पड़ोस में रहने वाला गुलाम मुस्तफा मोहम्मद खलीफा अपने दोस्त की मासूम बेटी से दुष्कर्म कर भाग गया. इस घटना के बाद भागे आरोपी को वलसाड जिला पुलिस ने कुछ ही घंटों में महाराष्ट्र के पालघर से पकड़ लिया. मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाने का प्रस्ताव दिया गया था. वापी और उमरगाम के पुलिस-अधिकारियों की जांच समिति ने सहायक सबूतों के साथ 470 पन्नों की चार्जशीट तैयार की है और इसे अदालत में जमा किया है. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि गरीब परिवार की बेटी के साथ हुई घटना में आरोपियों को केंद्र सरकार के कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK