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एमएससीबी घोटाले में आरोपपत्र में नाम आने के बाद सुप्रिया सुले ने रोहित पवार का बचाव किया

Updated on: 14 July, 2025 03:11 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राकांपा (सपा) की लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के विधायक रोहित पवार को सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर निशाना बनाया जा रहा है.

Rohit Pawar. Pic/PTI

Rohit Pawar. Pic/PTI

राकांपा (सपा) की लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार को दावा किया कि उनकी पार्टी के विधायक रोहित पवार, जिनका नाम कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले में आरोपपत्र में दर्ज है, को सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर निशाना बनाया जा रहा है.

सुले का कहना था कि रोहित पवार को राजनीतिक कारणों से लक्षित किया जा रहा है. ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने हाल ही में कर्जत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र से विधायक पवार को एमएससीबी घोटाले में आरोपी बनाया है. इस घोटाले का मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा अगस्त 2019 में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा है, जिसमें आरोप है कि एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों ने अपने रिश्तेदारों और निजी व्यक्तियों को सहकारी चीनी मिल (एसएसके) को औने-पौने दामों पर धोखाधड़ी से बेच दिया था.


इस घोटाले के तहत छत्रपति संभाजीनगर स्थित कन्नड़ एसएसके को बारामती एग्रो लिमिटेड ने खरीदा था, जो पवार की कंपनी है. शरद पवार के पोते और विधायक रोहित पवार ने शनिवार को दावा किया था कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और उन्हें सिर्फ राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है.


ईडी द्वारा आरोपपत्र में रोहित पवार का नाम शामिल किए जाने पर, सुप्रिया सुले ने कहा कि पवार को विपक्षी दल में होने और सरकार के खिलाफ बोलने के कारण सजा मिल रही है. उन्होंने आरोप लगाया, "रोहित ने एफआईआर में शामिल नामों की एक सूची साझा की थी, जिनमें से अधिकांश अब भाजपा से जुड़े हुए हैं. उन्हें विपक्षी दल में होने और सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के कारण निशाना बनाया जा रहा है."

एमएससीबी ने कन्नड़ एसएसके लिमिटेड के 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली के लिए 13 जुलाई, 2009 को वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन (SARFAESI) अधिनियम के तहत उसकी सभी संपत्तियों पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद, 30 अगस्त, 2012 को एक संदिग्ध मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर कन्नड़ एसएसके की नीलामी की गई, जिसमें बारामती एग्रो के अलावा दो अन्य पक्षों ने बोली प्रक्रिया में भाग लिया.


ईडी ने आरोप लगाया है कि सबसे ऊँची बोली लगाने वाले बोलीदाता को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जबकि दूसरा बोलीदाता पहले से ही बारामती एग्रो का करीबी व्यावसायिक सहयोगी था और उसे चीनी मिल चलाने का कोई अनुभव नहीं था और न ही उसके पास वित्तीय क्षमता थी.

इस मामले में जांच जारी है और आरोपपत्र में कई प्रमुख नामों को शामिल किया गया है, जो इस घोटाले के मुख्य आरोपी बताए जा रहे हैं.

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