Updated on: 20 October, 2024 01:32 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी श्रीकांत पांगारकर ने हाल ही में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) में प्रवेश किया और उन्हें जालना विधानसभा प्रमुख नियुक्त किया गया.
श्रीकांत पांगारकर का शिवसेना में शामिल होना और उन्हें तुरंत महत्वपूर्ण पद सौंपा जाना कई सवाल खड़े कर रहा है.
साल 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड की जांच के दौरान एसआईटी ने अमोल काले नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया. पूछताछ में अमोल काले ने खुलासा किया कि गौरी लंकेश की हत्या की सुपारी महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने दी थी. जांच में यह भी सामने आया कि श्रीकांत पांगारकर अमोल काले के संपर्क में था. इसके बाद 2018 में श्रीकांत पांगारकर को गिरफ्तार किया गया. लेकिन 4 सितंबर 2024 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने श्रीकांत पांगारकर को जमानत पर रिहा कर दिया, जिसके चलते वह अब जमानत पर बाहर है.
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हाल ही में, श्रीकांत पांगारकर ने शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) में प्रवेश किया है. जालना में हुए इस पार्टी प्रवेश कार्यक्रम में शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर भी मौजूद थे. सबसे खास बात यह रही कि पांगारकर के पार्टी में शामिल होते ही उन्हें जालना विधानसभा प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं, और कई नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले ने पांगारकर के शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "गौरी लंकेश हत्याकांड के एक आरोपी का 3आरपीएल सरकार ने खुले दिल से स्वागत किया है. इस सरकार में न्याय के प्रति कोई सम्मान नहीं है, बल्कि यह अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रही है. महाराष्ट्र इससे कहीं बेहतर का हकदार है."
Shocking! An accused in the Gauri Lankesh murder case welcomed with open arms by the 3rple ??Sarkar. This government has zero respect for justice—protecting criminals while trampling on the rule of law. Maharashtra deserves better than this #khokesarkar, compromised leadership!…
— Supriya Sule (@supriya_sule) October 20, 2024
श्रीकांत पांगारकर का शिवसेना में शामिल होना और उन्हें तुरंत महत्वपूर्ण पद सौंपा जाना कई सवाल खड़े कर रहा है. विपक्ष ने इसे न्याय व्यवस्था पर हमला और कानून-व्यवस्था के प्रति उदासीनता का प्रतीक बताया है. वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से इस कदम पर अभी कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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