Updated on: 11 November, 2024 03:25 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद बैग की तलाशी की घटना ने शिवसेना (UBT) में आक्रोश फैला दिया है. सुषमा अंधारे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है और सवाल किया कि क्या मौजूदा सरकार के शीर्ष नेताओं के साथ भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी.
X/Pics, Sushma Andhare
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उद्धव ठाकरे की वनी में संजय डेरकर के प्रचार अभियान के दौरान घटी एक घटना ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है. सोमवार, 11 नवंबर को जब उद्धव ठाकरे हेलीकॉप्टर से उतरे, तो उनकी बैग की तलाशी ली गई. इस घटना ने शिवसेना (UBT) के भीतर गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया. शिवसेना (UBT) की वरिष्ठ नेता सुषमा अंधारे ने इस घटना के खिलाफ तीखा बयान देते हुए मौजूदा सरकार और शीर्ष नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए.
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सुषमा अंधारे ने कहा, ‘हम कानून का सम्मान करते हैं और हर जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं. लेकिन क्या मौजूदा सरकार की हिम्मत है कि वे एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, नरेंद्र मोदी या अमित शाह का बैग उसी तरह चेक करें जैसे उद्धव ठाकरे का किया गया?’ इस बयान से सत्ताधारी पक्ष के प्रति सवाल खड़े हो गए हैं और चुनावी राजनीति में एक नई बहस शुरू हो गई है.
इस घटनाक्रम के पीछे शिवसेना (UBT) का आरोप है कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है ताकि विपक्ष पर दबाव बनाया जा सके और उसे कमजोर किया जा सके. अंधारे ने अपने बयान में यह भी कहा कि रश्मि शुक्ला की बर्खास्तगी के बाद जो निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव की उम्मीद जगी थी, वह अब टूटती नजर आ रही है. उन्होंने कहा, ‘यह सोचा गया था कि रश्मि शुक्ला के पद से हटने के बाद चुनाव निष्पक्ष होंगे, लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सरकारी तंत्र का इस्तेमाल फिर से चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए हो रहा है.’
अंधारे ने स्पष्ट रूप से कहा कि सत्ता में बैठे गठबंधन द्वारा प्रशासनिक ताकत का इस्तेमाल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर विपक्ष की छवि धूमिल करने और उसे कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है.
शिवसेना (UBT) का मानना है कि इस तरह की घटनाएं जनता में यह संदेश देती हैं कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हैं. अंधारे का बयान ऐसे समय पर आया है जब महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है. इस बयान ने विपक्ष को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का नया मौका दे दिया है और चुनावी रणनीतियों में भी बदलाव की संभावनाएं बढ़ा दी हैं.
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