Updated on: 15 May, 2025 06:11 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तलाशी अभियान तब मुठभेड़ में बदल गया जब आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की.
प्रतीकात्मक तस्वीर
पुलिस रिपोर्टों के अनुसार, गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान तीन अज्ञात आतंकवादी मारे गए. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच, सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में विशेष इनपुट मिलने के बाद दक्षिण कश्मीर जिले के अवंतीपोरा के नादेर त्राल इलाके में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तलाशी अभियान तब मुठभेड़ में बदल गया जब आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की.
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रिपोर्ट के मुताबिक तीनों आतंकवादी गोलीबारी में मारे गए. अधिकारी ने कहा कि मारे गए आतंकवादियों की पहचान और समूह से संबद्धता का अभी पता नहीं चल पाया है. पुलिस ने कहा कि ऑपरेशन अभी भी जारी है. अधिकारियों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान ने बुधवार को दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं (आईबी) पर क्रमशः सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा पकड़े गए सीमा-सुरक्षा कर्मियों को एक-दूसरे को सौंप दिया.
पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रेंजर्स द्वारा पकड़े जाने के 21 दिन बाद बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिशरा के रहने वाले कांस्टेबल को पाकिस्तान रेंजर्स ने सुबह 10.30 बजे पंजाब में अटारी-वाघा सीमा के रास्ते बीएसएफ को सौंप दिया. पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रेंजर्स ने शॉ को पकड़ा था.
अधिकारियों ने बताया कि 3 मई को राजस्थान सीमा से बीएसएफ द्वारा पकड़े गए एक पाकिस्तानी रेंजर को भी पड़ोसी देश को सौंप दिया गया. उन्होंने बताया कि शॉ 23 अप्रैल को सुबह करीब 11.50 बजे फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान “गलती से” पाकिस्तान की सीमा में घुस गया था और उसे पाक रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि जवान की पूरी शारीरिक जांच और मेडिकल जांच की जाएगी, उसके बाद काउंसलिंग और `डीब्रीफिंग` सत्र होगा, जहां बीएसएफ अधिकारी रेंजर्स द्वारा 21 दिनों तक हिरासत में रखे जाने के बारे में उससे "प्रासंगिक प्रश्न" पूछेंगे. उन्होंने बताया कि 24वीं बीएसएफ बटालियन से संबंधित जवान को सक्रिय ड्यूटी में शामिल नहीं किया जाएगा और रेंजर्स द्वारा उसे हिरासत में लिए जाने के क्रम की जांच करने और यदि कोई चूक हुई है, तो उसका पता लगाने के लिए आधिकारिक जांच का भी हिस्सा होगा. प्रवक्ता ने कहा कि सीमा पर जवान को सौंपने की प्रक्रिया "शांतिपूर्ण तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार की."
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