Updated on: 24 October, 2025 04:41 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भारतीय विज्ञापन जगत को एक सशक्त आवाज़ और दिशा देने वाले पीयूष पांडे के निधन पर लोग शोक में हैं.
पीयूष पांडे
भारतीय विज्ञापन जगत से एक दुखद खबर आ रही है. भारतीय विज्ञापन जगत को नई ऊँचाई देने वाली शख्सियत पीयूष पांडे का 70 साल की उम्र में निधन हो गया है. भारतीय विज्ञापन जगत को एक सशक्त आवाज़ और दिशा देने वाले पीयूष पांडे के निधन पर लोग शोक में हैं. पीयूष पांडे का जन्म 1955 में हुआ था. उनके कुल नौ भाई-बहन थे. जिनमें से सात बहनें और दो भाई थे.
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पीयूष पांडे, इला अरुण के भाई और इशिता अरुण के मामा थे. पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में काम करते थे. पीयूष पांडे ने कई सालों तक क्रिकेट भी खेला. इसके बाद उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा. 1982 में वे ओगिल्वी से जुड़े. 27 साल की उम्र में पांडे ने अंग्रेजी भाषा के विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा. तब से मानो उन्होंने विज्ञापन जगत का नक्शा ही बदल दिया.
आज जब विज्ञापनों की बात आती है, तो एशियन पेंट्स (हर खुशी में रंग लाए), कैडबरी (कुछ खास है) या फेविकोल और हच जैसे कई ब्रांड हैं जिन्होंने विज्ञापन जगत में अपनी अलग जगह बनाई है, इनके पीछे पीयूष पांडे का हाथ है. क्योंकि उन्होंने इन विज्ञापनों में अपनी आवाज़ देकर इन विज्ञापनों को मशहूर बनाया. पीयूष पांडे ने हिंदी और बोलचाल के भारतीय मुहावरों को मुख्यधारा के विज्ञापनों में शामिल किया. उन्होंने इनमें हास्य, ऊर्जा और मानवीय मूल्यों का भी तड़का लगाया.पीयूष पांडे ने भारत के सबसे यादगार राजनीतिक नारों में से एक नारा भी दिया जो बहुत लोकप्रिय हुआ और वह है "अब की बार, मोदी सरकार".
निर्मला सीतारमण ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने लिखा, "श्री पीयूष पांडे के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. वे भारतीय विज्ञापन जगत में एक प्रमुख नाम थे. उन्होंने अपने रोज़मर्रा के मुहावरों, सहज हास्य और ऊर्जावान बातचीत से विज्ञापन जगत को बदल दिया. मुझे कई मौकों पर उनसे बातचीत करने का अवसर मिला. उनके परिवार, दोस्तों और पूरे मनोरंजन जगत के प्रति मेरी संवेदनाएँ. उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी." हंसल मेहता लिखते हैं, "फेविकोल का बंधन टूट गया है. विज्ञापन जगत ने अपना बंधन खो दिया है. पीयूष पांडे अमर रहें." पीयूष गोयल ने दुःख व्यक्त करते हुए लिखा, "पद्मश्री पीयूष पांडे के निधन पर दुःख व्यक्त करने के लिए शब्द अपर्याप्त हैं. विज्ञापन जगत में उनकी रचनात्मक प्रतिभा ने कहानी कहने को एक नई दिशा दी. उन्होंने हमें अविस्मरणीय और कालातीत कहानियाँ दीं. वह मेरे अच्छे मित्र थे. उनकी प्रतिभा उनकी ईमानदारी, गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता से झलकती थी. मैं हमारे बीच हुई रोचक बातचीत को हमेशा याद रखूँगा. वह अपने पीछे एक बहुत बड़ा शून्य छोड़ गए हैं जिसे भरना मुश्किल होगा. उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ. ओम शांति!"
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