Updated on: 02 March, 2025 12:44 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
शाह ने यह निर्देश यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में दिए, जहां मणिपुर की सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई.
मेइती संगठन, अरम्बाई टेंगोल के सदस्यों द्वारा आत्मसमर्पण किए गए हथियार. तस्वीर/गेटी इमेजेज
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों को 8 मार्च से मणिपुर में सभी मार्गों पर लोगों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया और बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी आह्वान किया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार शाह ने यह निर्देश यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में दिए, जहां मणिपुर की सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई.
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रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मई 2023 में दोनों समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से इंफाल घाटी के मैतेई और पड़ोसी पहाड़ियों पर रहने वाले कुकी लोगों के इलाकों से यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित है. कुकी राज्य से बाहर जाने के लिए ज्यादातर मिजोरम से होकर जाते हैं, जबकि मैतेई कुकी लोगों के प्रभुत्व वाली पहाड़ियों में नहीं जाते.
विश्वास बहाली का यह कदम राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा अवैध और लूटे गए हथियार रखने वालों को सुरक्षा चौकियों के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश देने के 10 दिन बाद आया है. रिपोर्ट के औसर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने यह भी कहा कि केंद्र राज्य में स्थायी शांति बहाल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस संबंध में सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गृह मंत्री ने निर्देश दिया कि 8 मार्च से मणिपुर की सभी सड़कों पर लोगों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जानी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक डेढ़ साल से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद अटकलें तेज हो गई थीं कि मणिपुर का नया मुख्यमंत्री कौन होगा. पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी थीं मणिपुर के नए मुख्यमंत्री के चेहरे पर राज्य के बीजेपी विधायकों के बीच सहमति नहीं बन पाई. नए नेता के चुनाव के लिए पार्टी की कई बैठकें हुईं.
बीरेन सिंह ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, इससे एक दिन पहले कि उनकी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ेगा. लीक हुए ऑडियो टेप के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बीरेन सिंह ने हिंसा भड़काई थी.
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