Updated on: 04 June, 2025 05:39 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
कुछ साल पहले तक सफल भी रहा, लेकिन अब यह कार्ड काम नहीं कर रहा है. पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की और इसके लिए उसने `हम भी मुसलमान, तुम भी मुसलमान` की रणनीति अपनाई.
जेडी(यू) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल मलेशिया के कुआलालंपुर से रवाना हुआ (फोटो: एजेंसी)
मलेशिया ने पाकिस्तान के इस्लामिक भाईचारे के कार्ड को खारिज कर इस्लामाबाद को बड़ा झटका दिया है. पाकिस्तान हमेशा से ही इस्लाम के नाम पर मुस्लिम देशों में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने की कोशिश करता है. कुछ साल पहले तक वह कई मुस्लिम देशों में सफल भी रहा, लेकिन अब यह कार्ड काम नहीं कर रहा है. पता चला है कि पाकिस्तान ने मलेशिया में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और उनके कार्यक्रमों को रोकने की पूरी कोशिश की और इसके लिए उसने `हम भी मुसलमान, तुम भी मुसलमान` की रणनीति अपनाई. लेकिन मलेशिया ने भारत और मलेशिया के रिश्तों में पाकिस्तान के हस्तक्षेप को सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि मलेशिया ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए थे, लेकिन अब उसने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया है.
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पाकिस्तान ने `इस्लामिक एकता` के नाम पर भारत की आधिकारिक यात्रा और मलेशिया से आए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों को रोकने की कोशिश की थी. पाकिस्तानी दूतावास ने मलेशियाई अधिकारियों से भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रम रद्द करने का अनुरोध किया था, लेकिन यह कारगर नहीं हुआ और प्रतिनिधिमंडल को मलेशिया में पूरा समर्थन मिला है. प्रतिनिधिमंडल के सभी कार्यक्रम तय कार्यक्रम के अनुसार ही हुए. इस घटनाक्रम को इस्लामाबाद के लिए एक बड़े कूटनीतिक अपमान के रूप में देखा जा रहा है. मलेशिया में पाकिस्तान का `इस्लामिक कार्ड` विफल हो गया. आपको बता दें कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जेडीयू सांसद संजय झा कर रहे थे और इसमें भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रधान बरुआ और हेमंग जोशी, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, सीपीएम के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और पूर्व राजनयिक मोहन कुमार शामिल थे.
पाकिस्तान ने प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रम को पटरी से उतारने के प्रयास में कश्मीर मुद्दा उठाया, लेकिन यह कारगर नहीं हुआ. मलेशिया के अलावा संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा किया. पाकिस्तान ने मलेशिया से कहा था कि चूंकि भारत में मुसलमानों के साथ कथित तौर पर अनुचित व्यवहार किया जा रहा है, इसलिए एक इस्लामिक देश होने के नाते मलेशिया को भारत के साथ किसी भी स्तर की बातचीत से दूर रहना चाहिए. लेकिन मलेशिया ने पाकिस्तान के इस अनुरोध को खारिज कर दिया. मलेशियाई अधिकारियों ने साफ कहा था कि वे अपने कूटनीतिक और द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होने देंगे.
वहीं, प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीपीएम के जॉन ब्रिटास ने कहा कि "हमारा मिशन दूसरे देशों को जगाना और यह संदेश देना था कि वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ दें." वहीं, भाजपा की अपराजिता सारंगी ने कहा कि वापस आकर अच्छा लगा. "पिछले 14 दिनों में हमने पांच देशों का दौरा किया... एक बात जो हमने महसूस की, वह यह कि हर देश भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद की कड़ी निंदा करता है." यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने "इस्लामिक एकता" का हवाला देकर वैश्विक मंचों पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने की कोशिश की है. पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के मंच का भी भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है.
पिछले कुछ सालों में भारत ने खाड़ी देशों के अलावा एशियाई देशों के साथ भी अपने संबंध मजबूत किए हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान की ऐसी चालें अब कामयाब नहीं हो पा रही हैं. हालांकि, 2019 से भारत और मलेशिया के बीच रिश्ते कुछ हद तक खराब हो गए थे, जब तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने कश्मीर पर पाकिस्तान का पक्ष लिया था. इसके बाद भारत ने मलेशियाई पाम ऑयल के आयात पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन बाद में मलेशिया ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे.
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