Updated on: 29 October, 2025 09:36 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उनके इस बयान से लगता है कि अब यह समझौता बस कुछ ही समय की बात है. हालाँकि, इस घोषणा के साथ ही ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने का दावा भी किया.
डोनाल्ड ट्रम्प
अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते पर अब हस्ताक्षर होने की उम्मीदें बढ़ रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण कोरिया में अपने एशियाई दौरे के दौरान कहा था कि दोनों देश जल्द ही इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. उनके इस बयान से लगता है कि अब यह समझौता बस कुछ ही समय की बात है. हालाँकि, इस घोषणा के साथ ही ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने का दावा भी किया.
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दोनों देशों के बीच इस व्यापार समझौते पर महीनों से बातचीत चल रही थी, लेकिन कई मुद्दों पर मतभेदों के कारण यह समझौता रुका हुआ था. सबसे बड़ी बाधाएँ रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदने पर अमेरिका की नाराज़गी थीं. अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, साथ ही रूसी तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया था. इसके अलावा, अमेरिका चाहता था कि भारत अमेरिकी कंपनियों को अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति दे. हालाँकि, यह भारत के लिए एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि देश की एक बड़ी आबादी छोटे किसानों पर निर्भर है.
पिछले हफ़्ते आई ख़बरों के अनुसार, अमेरिका अब टैरिफ़ को 50 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत करने पर राज़ी हो गया है. बदले में, भारत ने रूस से तेल ख़रीद कम करने का वादा किया है. बताया जा रहा है कि यह समझौता ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फ़ोन पर हुई बातचीत के बाद हुआ है, हालाँकि न तो भारत और न ही अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर इस जानकारी की पुष्टि की है.
इस समझौते के तहत भारत, अमेरिका से गैर-जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) मक्का और सोयाबीन खली का आयात करने पर भी राज़ी हो सकता है. अमेरिका चाहता है कि उसके मक्का का इस्तेमाल भारत में सिर्फ़ इथेनॉल उत्पादन के लिए हो, न कि कृषि बाज़ार के लिए. इस बीच, चीन के साथ टैरिफ़ युद्ध के कारण अमेरिका ने अपने सोयाबीन के लिए एक अहम बाज़ार खो दिया है. अब वह प्रोटीन युक्त चारे के तौर पर भारत को सोयाबीन खली बेचना चाहता है. हालाँकि, भारत जीएम फ़सलों को लेकर सख़्त है और उसने अभी तक विदेशी जीएम खाद्यान्नों को मंज़ूरी नहीं दी है. इसलिए यह मुद्दा संवेदनशील बना हुआ है. अगर यह समझौता सफलतापूर्वक संपन्न होता है, तो इससे न सिर्फ़ दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक रिश्ते मज़बूत होंगे, बल्कि वैश्विक बाज़ारों पर भी इसका असर पड़ेगा. आने वाले दिनों में दोनों देशों की ओर से आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है.
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