Updated on: 21 August, 2025 12:02 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
Vice President Election: उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष द्वारा पूर्व जज बी. सुरदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा ने निशाना साधा है.
X/Pics, Keshav Upadhye
देश में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुरदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को इसका औपचारिक ऐलान किया. लेकिन इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
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सर्वसामान्यांच्या आक्रोशातून, संतापातून सुरू झालेल्या ‘सलवा जुडूम’ या नक्षलविरोधी चळवळीविरोधात निकाल देणारे माजी न्यायमूर्ती व कॉंग्रेसचे उपराष्ट्रपतीपदाचे उमेदवार बी सुदर्शन रेड्डी यांना उबाठा व शरद पवार गट पाठिंबा देणार का?
— Keshav Upadhye (@keshavupadhye) August 21, 2025
सलवा जुडूम ही नक्षली कारवायामुळे त्रस्त असलेल्या…
भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने ट्वीट कर शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राकांपा (शरद पवार गुट) पर निशाना साधा. उपाध्याय ने सवाल उठाया कि “क्या उद्धव ठाकरे और शरद पवार कांग्रेस उम्मीदवार बी. सुरदर्शन रेड्डी का समर्थन करेंगे, जिन्होंने नक्सल विरोधी आंदोलन ‘सलवा जुडूम’ के खिलाफ फैसला सुनाया था?”
गौरतलब है कि सलवा जुडूम छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में नक्सल गतिविधियों के खिलाफ शुरू हुआ एक जन आंदोलन था. गरीब ग्रामीणों ने मिलकर यह मुहिम चलाई थी, लेकिन 2011 में न्यायमूर्ति रेड्डी की बेंच ने इस पर रोक लगा दी. भाजपा का आरोप है कि इस फैसले ने नक्सलियों को अप्रत्यक्ष संरक्षण दिया और स्थानीय प्रतिरोध आंदोलन कमजोर हो गया.
उपाध्याय ने आगे कहा कि “माननीय बालासाहेब ठाकरे हमेशा नक्सलवाद के खिलाफ खड़े रहे और भगवा को अपनी जीवनरेखा माना. अब उद्धव ठाकरे सत्ता के लिए कांग्रेस की लाइन पर चल रहे हैं. क्या वे लाल सलाम करेंगे?” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “संजय राउत को जवाब देना चाहिए कि क्या शिवसेना (UBT) अब कांग्रेस के दरबार में नक्सली समर्थक रवैया अपनाएगी. शायद ‘सामना’ की टैगलाइन भी बदलकर ‘ज्वलंत हिंदुत्व को बढ़ावा देने वाला दैनिक’ से ‘सत्ता को लाल सलाम करने वाला दैनिक’ करनी पड़े.”
इस बयान से साफ है कि उपराष्ट्रपति चुनाव केवल एक संवैधानिक पद के चयन की प्रक्रिया नहीं रह गया है, बल्कि सत्ता और विपक्ष के बीच वैचारिक टकराव का नया अखाड़ा बन गया है. एक ओर कांग्रेस और सहयोगी दल इस चुनाव को लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बता रहे हैं, वहीं भाजपा इसे विपक्ष की “दोहरी राजनीति” और “नक्सल समर्थक रुख” से जोड़कर प्रस्तुत कर रही है. आने वाले दिनों में यह जंग और भी गरम होने के आसार हैं.
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