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क्या इजरायल की मदद करके कर्ज चुकाएगा भारत? कारगिल में मिली थी मदद

Updated on: 18 June, 2025 07:52 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इन हमलों में इजराइल में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में एयर डिफेंस सिस्टम की कमी के कारण इजराइल की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि वह एक साथ कई मोर्चों पर दुश्मनों से लड़ रहा है.

नेतन्याहू, नरेंद्र मोदी और अली खामेनेई की फाइल फोटो (सौजन्य: मिड-डे)

नेतन्याहू, नरेंद्र मोदी और अली खामेनेई की फाइल फोटो (सौजन्य: मिड-डे)

ईरान पर सफल सैन्य हमला करने का दावा करने वाला इजराइल मुश्किल में है. दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजराइल के पास लंबी दूरी की मिसाइल इंटरसेप्टर की आपूर्ति तेजी से कम हो रही है. इससे इजराइल की हवाई सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि हाल के दिनों में इजराइल को ईरान की ओर से कई हवाई हमलों का सामना करना पड़ा है. इन हमलों में इजराइल में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में एयर डिफेंस सिस्टम की कमी के कारण इजराइल की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि वह एक साथ कई मोर्चों पर दुश्मनों से लड़ रहा है. 

इस बीच सवाल यह है कि क्या भारत कारगिल युद्ध में इजराइल की मदद का कर्ज चुका पाएगा. अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इजराइल में एयर डिफेंस सिस्टम की कमी पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से इस रिपोर्ट ने इजराइल की हवाई सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब इजराइल और ईरान के बीच मिसाइलों का आदान-प्रदान जारी है. पिछले शुक्रवार को इजराइल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लॉयन लॉन्च किया था. तब से लेकर अब तक ईरानी सेना इजराइल पर करीब 400 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग चुकी है. ये मिसाइलें ईरान के 2,000 शस्त्रागार का हिस्सा हैं जो इजरायल तक पहुंचने में सक्षम हैं. 


इजरायल के अधिकारियों ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि उनके हमले ने ईरान के एक तिहाई मिसाइल लांचर को नष्ट कर दिया और दावा किया कि उन्होंने ईरानी आसमान पर हवाई श्रेष्ठता हासिल कर ली है. हालांकि, खुफिया सूत्रों ने चेतावनी दी है कि ईरान की आधी से अधिक मिसाइल सूची बरकरार है, जिनमें से कुछ भूमिगत सुरंगों में छिपी हो सकती हैं. इजरायल की बहुस्तरीय वायु रक्षा में आयरन डोम, डेविड स्लिंग, एरो सिस्टम और अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई पैट्रियट्स और THAAD बैटरियां शामिल हैं. हालांकि, उन्हें निरंतर अवरोधन में सक्षम रखने की लागत एक गंभीर चिंता का विषय है. इजरायल के वित्तीय दैनिक ``द मार्कर`` का अनुमान है कि रात में मिसाइल रक्षा संचालन की लागत 1 बिलियन शेकेल ($285 मिलियन) तक है. 


एरो सिस्टम अकेले $3 मिलियन मूल्य के इंटरसेप्टर फायर करता है. ईरान लगभग रोजाना इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर रहा है. इस वजह से इजरायली वायु रक्षा प्रणालियों पर भारी दबाव है. इस बीच, इजरायली खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि अमेरिका की ओर से त्वरित आपूर्ति या सीधे हस्तक्षेप के बिना इजरायल अपने एयर डिफेंस सिस्टम के इस स्तर को केवल 10 या 12 दिनों तक ही बनाए रख पाएगा. एयर डिफेंस सिस्टम पहले से ही काफी दबाव में हैं. ऐसे में उन्हें जल्द ही यह चुनना पड़ सकता है कि कौन सी मिसाइलों को रोकना है और कौन सी नहीं.

भारत की आधिकारिक नीति दो देशों के बीच किसी भी संघर्ष में तटस्थ रहने की है. ऐसे संघर्षों में भारत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संघर्ष में शामिल नहीं होता है. इजरायल-ईरान संघर्ष भी ऐसा कुछ है जिसमें भारत कभी भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगा. इस संघर्ष के शुरू होने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने पहले ही बयान में यह स्पष्ट कर दिया था कि दोनों देश उसके मित्र हैं और उनके साथ उसके मजबूत संबंध हैं. ऐसे में भारत किसी भी तरह से खुद को इस संघर्ष में शामिल नहीं करना चाहेगा, खासकर मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों को देखते हुए. अगर भारत इजरायल की किसी भी तरह से मदद करता है, तो इससे न केवल ईरान के साथ उसके संबंध खराब होंगे, बल्कि खाड़ी देशों के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध भी खराब होंगे.


कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने मोर्टार और गोला-बारूद मुहैया कराकर भारत की मदद की थी. इजराइल उन चंद देशों में से एक था जिसने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की सीधे मदद की थी. इस युद्ध के दौरान, इसने भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइलों की आपूर्ति की. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दबाव के बावजूद, इजराइल ने कारगिल में पाकिस्तान के घुसपैठ से पहले भारत को ऑर्डर किए गए हथियारों की खेप जल्दी से पहुंचा दी. इसमें इजराइली हेरॉन मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) की डिलीवरी भी शामिल थी.

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