भूकंप के बाद जापान में हैं बुरे हालात. तस्वीर/एएफपी
क्षेत्र में 7.5 तीव्रता का भूकंप आने के दो दिन बाद भी इशिकावा प्रांत और आसपास के इलाकों में झटके आते रहे. आपदाओं के बाद जान बचाने के लिए पहले 72 घंटे महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
कुछ क्षेत्रों में पानी, बिजली और सेल फोन सेवा अभी भी बंद है. निवासियों को इससे परेशानी हो रही है.
इशिकावा प्रीफेक्चुरल अधिकारियों के अनुसार, 29 लोगों की मौत वाजिमा शहर में, जबकि 22 लोगों की मौत सुजु में हुई. आसपास के प्रान्तों सहित दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.
हालांकि घायलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती रही, लेकिन प्रसारण और फोन पर प्रसारित त्वरित सार्वजनिक चेतावनियों और आम जनता और अधिकारियों की त्वरित प्रतिक्रिया से कुछ नुकसान सीमित हुआ.
वैज्ञानिकों की भविष्यवाणियां बार-बार गलत साबित हुई हैं, जैसे कि दक्षिण-पश्चिमी कुमामोटो में 2016 का भूकंप, यह क्षेत्र पहले अपेक्षाकृत भूकंप-मुक्त माना जाता था.
जापानी मीडिया के हवाई फुटेज में सबसे अधिक प्रभावित स्थानों पर बड़े पैमाने पर नुकसान दिखाया गया, जिसमें भूस्खलन से सड़कें जमींदोज हो गईं, नावें पानी में गिर गईं और आग ने वाजिमा शहर के एक पूरे हिस्से को राख में बदल दिया.
जापान की सेना ने बचाव प्रयासों में शामिल होने के लिए 1,000 सैनिकों को आपदा क्षेत्रों में भेजा है. यह अनिश्चित था कि मलबे में अभी और कितने पीड़ित हो सकते हैं.
परमाणु नियामकों ने कहा कि क्षेत्र में कई परमाणु संयंत्र सामान्य रूप से काम कर रहे हैं. 2011 में एक बड़े भूकंप और सुनामी के कारण पूर्वोत्तर जापान में एक परमाणु संयंत्र में तीन रिएक्टर पिघल गए और बड़ी मात्रा में विकिरण जारी हुआ.
सोमवार को जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने इशिकावा के लिए एक बड़ी सुनामी चेतावनी और जापान के मुख्य द्वीप होन्शू के पश्चिमी तट के बाकी हिस्सों के साथ-साथ होक्काइडो के उत्तरी द्वीप के लिए निचले स्तर की सुनामी चेतावनी या सलाह जारी की.
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