Updated on: 18 August, 2024 12:17 PM IST | Mumbai
गांव में प्रवेश करते ही सबसे पहले उन्होंने हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की, जिसके बाद गांव के खेल स्टेडियम में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया.
Photos/Pallav Paliwal
स्टार पहलवान विनेश फोगाट, जो पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल कुश्ती मुकाबले से पहले अयोग्य घोषित हो गई थीं, शनिवार सुबह भारत लौट आईं. उनके स्वागत के लिए दिल्ली हवाई अड्डे पर हजारों प्रशंसक जमा हुए थे. विनेश फोगाट ने हवाई अड्डे से अपने गांव हरियाणा के दादरी जिले के बलाली तक लगभग 125 किमी का रोड शो किया. इस यात्रा के दौरान कई स्थानों पर उनका भव्य स्वागत किया गया. रास्ते में कई बार विनेश फोगाट भावुक हो गईं, लेकिन उनके साथी पहलवानों ने उन्हें संभाला. बलाली गांव पहुंचने के बाद, विनेश फोगाट ने फिर से पेरिस ओलंपिक 2024 के बारे में अपने विचार साझा किए. दिल्ली हवाई अड्डे से अपने पैतृक गांव बलाली पहुंचने में विनेश फोगाट को करीब 13 घंटे लगे. गांव में प्रवेश करते ही सबसे पहले उन्होंने हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की, जिसके बाद गांव के खेल स्टेडियम में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह के दौरान, यात्रा की थकान और भावनात्मक तनाव के कारण उनकी तबियत बिगड़ गई. हालांकि, उन्होंने कुर्सी पर बैठकर ही उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया और ओलंपिक के अनुभवों पर बात की.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
#WATCH | Indian wrestler Vinesh Phogat says, " This Olympic medal has become a deep wound...it will take time to heal but I want to thank the people of my country...I can`t say anything right now if I have quit (wrestling) or if will I continue...our fight has not ended. I just… https://t.co/1Ub6oAboZE pic.twitter.com/DiuVoFYVPZ
— ANI (@ANI) August 17, 2024
अपने गांव पहुंचने पर, विनेश फोगाट ने गांववासियों और देशवासियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा, "मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मैं ऐसे गांव में पैदा हुई. आज मैं अपने गांव का कर्ज चुकाने में अपनी भूमिका निभा सकी हूं. मैं चाहती हूं कि गांव से एक ऐसी बहन निकले जो मेरे सभी कुश्ती रिकॉर्ड तोड़ दे. ओलंपिक पदक का घाव बहुत गहरा है और इससे उबरने में समय लगेगा. लेकिन, जो प्यार और समर्थन मैंने अपने गांव और देश से देखा है, वह इस घाव को भरने का साहस देगा."
विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल मैच के बारे में बात करते हुए कहा, "यह मेरी जीवन की एक महत्वपूर्ण चुनौती थी, जो पूरी नहीं हो सकी. मैं यह नहीं कह सकती कि मैं कुश्ती छोड़ना चाहती थी या छोड़ दी है. लेकिन मैं 2032 तक अपने खेल को जारी रखने का इरादा रखती थी. जीवन की लड़ाई बहुत लंबी है और हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. हमने पिछले एक साल से कई चुनौतियों का सामना किया है और यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा."
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान, विनेश फोगाट का संघर्ष, धैर्य और अपने गांव के प्रति उनके प्रेम ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी. उनके शब्दों में उनके संघर्ष की कहानी और उनके दिल की गहराइयों से निकलने वाला आभार साफ झलकता है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT