Updated on: 05 July, 2025 06:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
चाहे वह दिल टूटने से उबरना हो, सामाजिक वर्जनाओं से टकराना हो, या आधुनिक दुनिया में अपने सपनों को पाना – ये उसके केंद्र में रही हैं.
प्रीतिश नंदी
चमेली से लेकर फोर मोर शॉट्स प्लीज! तक, प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस (PNC) ने भावनात्मक रूप से जटिल और बेबाक रूप से वास्तविक महिला पात्रों को गढ़ने की विरासत बनाई है. चाहे वह दिल टूटने से उबरना हो, सामाजिक वर्जनाओं से टकराना हो, या आधुनिक दुनिया में अपने सपनों को पाना – ये महिलाएं कहानी के किनारे नहीं, बल्कि उसके केंद्र में रही हैं. लगभग दो दशकों से चली आ रही साहसी कहानियों में, PNC ने महिलाओं को एक योद्धा, बागी, बदलाव लाने वाली और स्वप्नदर्शी के रूप में पेश किया है – हमेशा प्रतिनिधित्व की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए.
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चमेली
चमेली ने भारतीय सिनेमा में सेक्स वर्कर्स के चित्रण को भी नए सिरे से परिभाषित किया. यह भूमिका इसलिए खास रही क्योंकि चमेली को दुखी लड़की से वेश्या बनी लड़की के किरदार तक सीमित नहीं रखा गया. इसके बजाय, उसे तेजतर्रार और भावनात्मक रूप से बुद्धिमान, सहानुभूति रखने वाली के रूप में चित्रित किया गया. चमेली का किरदार वास्तविक और गरिमापूर्ण था, इस तरह हाशिए पर रहने वाली महिलाओं पर बॉलीवुड के पारंपरिक नज़रिए को बदल दिया.
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की गीता राव
चित्रांगदा सिंह द्वारा निभाई गई गीता का किरदार एक बेहद संघर्षशील महिला थीं – जो इस राजनीतिक कहानी की धड़कन थीं. शिक्षित, आदर्शवादी, और प्रेम तथा क्रांति के बीच झूलती गीता उस आंतरिक संघर्ष का प्रतीक बनीं, जहां एक ओर सही और गलत का सिद्धांत होता है और दूसरी ओर दिल की चाहतें. जिसे हम पीएनसी की स्तरित नारीत्व के शुरुआती किरदारों में से एक कह सकते हैं.
प्यार के साइड इफेक्ट्स की त्रिशा
मल्लिका शेरावत की त्रिशा एक ऐसी महिला थी जो अपने समय से बहुत आगे थी. एक आत्मविश्वासी, करियर-फोकस महिला जो रिश्ते भी अपनी शर्तों पर निभाती है. उसने यह धारणा तोड़ी कि महत्वाकांक्षी महिलाएं प्रतिबद्धता से डरती हैं. उसने रिश्तों को स्पष्टता और दृढ़ता से संभाला – जिसे समाज आमतौर पर एक महिला की विद्रोह के रूप में देखता है.
फोर मोर शॉट्स प्लीज से दामिनी, अंजना, सिद्धि और उमंग!
ये चारों महिलाएं – अंजना, सिद्धि, दामिनी और उमंग – निडर, सशक्त, लेकिन मानवीय रूप से खामियों से भरी हुई वास्तविक चौकड़ी बनाती हैं — दामिनी (सयानी गुप्ता) एक निडर खोजी पत्रकार जो महत्वाकांक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और पसंद के निर्णयों पर लगे सामाजिक दाग से जूझती है. लेकिन वह अपनी कमियों को ही अपनी ताकत बनाती है.
अंजना (कीर्ति कुल्हारी), तलाकशुदा वकील और माँ, जो ‘परफेक्ट वुमन’ के खांचे को तोड़ती है और अपनी खुद की पहचान तलाशती है.
उमंग (बानी जे) एक समलैंगिक फिटनेस उद्यमी, जो ताकत, संवेदनशीलता और सच्चाई के साथ समाज की रूढ़ियों को चुनौती देती है.
सिद्धि (मानवी गगरू), एक मिलेनियल स्टैंड-अप कॉमिक, जो आमतौर पर अपने वजन और आकार के लिए शर्म का सामना करती है, अंततः आत्म-संदेह को आत्म-खोज में बदल देती है. इन चारों ने आधुनिक महिला की उलझनों, बदलाव और असलियत को बेबाक़ तरीके से परिभाषित किया है.
ज़िद्दी गर्ल्स
जैसा कि शीर्षक से पता चलता है, ज़िद्दी गर्ल्स की मुख्य नायिकाएँ, सभी उदाहरण प्रस्तुत करती हैं. शोनाली बोस द्वारा निर्देशित यह कहानी किशोर लड़कियों – देविका, त्रिशा, वल्लिका, वंदना और तबस्सुम की है, जो उनके जीवन पर प्रकाश डालता है, जो कामुकता, पहचान और विद्रोह का सामना करती हैं. अगर फोर मोर शॉट्स प्लीज! वयस्क विद्रोह के बारे में थी, तो ज़िद्दी गर्ल्स उस जगह के बारे में है जहाँ से यह सब शुरू होता है. PNC के सिद्धांतों के अनुसार, ये लड़कियाँ बेबाक, जिज्ञासु और निसंकोच असली हैं.
शब्द
ऐश्वर्या राय द्वारा निभाया गया अंतरा का किरदार भावनात्मक रूप से जटिल किरदार का एक आदर्श उदाहरण है, जिसके लिए प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस जाना जाता है. अंतरा कोई आम प्रेमिका नहीं है. – वह एक ऐसी महिला है जो प्रेम और आत्म-खोज के बीच उलझी हुई है. उसकी कमज़ोरी, बौद्धिक जिज्ञासा और अपनी भावनाओं को अपनी महत्वाकांक्षाओं के साथ समेटने का संघर्ष उसे एक खूबसूरती से परतदार किरदार बनाता है, जो PNC के बेबाक असली महिलाओं के चरित्र को दर्शाता है. अंतरा, जो अपनी भावनात्मक लड़ाइयों की विजेता है, पारंपरिक अपेक्षाओं को तोड़ कर प्रतिनिधित्व की सीमाओं को और आगे बढ़ाती है.
प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस ने लगातार ऐसी महिलाओं के लिए जगह बनाता रहा है, जो अपनी खामियों को विनम्रता से स्वीकार करती हैं और निडरता से खुद के प्रति सच्ची होती हैं. चाहे वह चमेली की समझदारी हो, या दामिनी की अदालती लड़ाई हो, या गीता के जटिल आंतरिक संघर्ष हों, ये महिलाएं उस असल दुनिया का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसे स्टाइल और संवेदना के साथ दिखाया गया है. एक पुरुष-प्रधान इंडस्ट्री में, PNC ने हमें वो कहानियाँ दी हैं जहाँ महिलाएं केवल दिखावे की वस्तु नहीं, बल्कि अविस्मरणीय कथानक की आत्मा होती हैं.
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