यह दृश्य अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुआ, जिसमें मंदिर और आसपास के क्षेत्र में सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की गई थी.(Instagram Pics)
`सुना बेशा` का यह रस्म एक पारंपरिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं.
यह परंपरा 1460 से चली आ रही है और भक्तगण इसे देखने के लिए हर साल यहाँ जुटते हैं.
देवताओं के आभूषणों में स्वर्ण के बड़े पैमाने पर आभूषण होते हैं, जो भक्तों के लिए एक विशेष आकर्षण का कारण होते हैं.
इस अनुष्ठान के दौरान सेवक भगवानों की मूर्तियों को सुनहरे आभूषणों से सजाते हैं, जिनमें अमूल्य रत्नों से सजे आभूषण होते हैं.
`भंडारा मेकप` सेवक, जो स्टोर प्रभारी होते हैं, इन आभूषणों को लाकर देवताओं को पहनाते हैं, जबकि पुष्पलका और दैतापति सेवक इस काम में मदद करते हैं.
`सुना बेशा` का समय शाम 6.30 बजे निर्धारित था, लेकिन यह कार्यक्रम शाम 4.45 बजे से शुरू हो गया था.
पुरी मंदिर के सूत्रों के अनुसार, देवता साल में कम से कम पांच बार इस अनुष्ठान में हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा, रथ यात्रा के दौरान भी यह स्वर्ण आभूषण देवताओं को पहनाए जाते हैं,
जबकि चार अन्य अवसरों पर मंदिर के अंदर ही यह अनुष्ठान होता है: दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और डोला पूर्णिमा.
इस ऐतिहासिक और धार्मिक अनुष्ठान के दौरान, ओडिशा पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 800 जवानों के अलावा राज्य पुलिस की 205 प्लाटून तैनात की थीं.
`सुना बेशा` अनुष्ठान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर का भी अहम हिस्सा है.
इस दिन लाखों भक्त इस दिव्य आयोजन के गवाह बनते हैं और अपनी आस्था को मजबूत करते हैं.
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