इस वर्ष यात्रा में महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा सहित कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु शामिल हुए. (Pics: Santosh Nimbalkar)
यात्रा के दौरान भक्तों ने भव्य झांकियाँ, शोभायात्रा और कीर्तन में भाग लिया. हजारों टन भंडारा, खरीक नारियल और ऊन का वितरण किया गया, जिससे पूरा इलाका भक्तिमय माहौल में रंग गया.
इस साल यात्रा का एक विशेष आकर्षण था हल्दी उत्सव, जिसमें श्रद्धालु एक-दूसरे को हल्दी लगाकर और हल्दी उछालकर उल्लास और रंगीनता का अनुभव कर रहे थे.
यह परंपरा यात्रा में उल्लास और भाईचारे का प्रतीक है और श्रद्धालुओं के बीच एकता और सामूहिक उत्साह को बढ़ाती है.
कई स्थानीय और क्षेत्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया और भक्तों को आशीर्वाद दिया.
यात्रा के दौरान भक्त समूहों में बंधकर देव की महिमा का गायन और कीर्तन करते हैं.
यह आयोजन सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी धनगर समुदाय को एक साथ लाने का माध्यम बनता है.
इस साल भी लगभग 1 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए और भंडारे में भाग लिया, जिससे यह पर्व और भी भव्य, जीवंत और यादगार बन गया.
यात्रा की तस्वीरें और वीडियो पूरे महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों में उत्साह और श्रद्धा का संदेश फैलाते हैं.
श्री महालिंगराया हुलजंती यात्रा न केवल देव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह समुदाय में भाईचारे, परंपरा और संस्कृति को जीवित रखने का एक अनोखा अवसर भी प्रदान करती है.
भक्तों की उपस्थिति और उत्साह यह संदेश देता है कि यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आशा और प्रेरणा का केंद्र बनी रहेगी.
ADVERTISEMENT