Updated on: 12 July, 2025 09:39 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
टाटा ट्रस्ट्स का `खुद से जीत` अभियान महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करने और समय पर स्क्रीनिंग कराने के लिए प्रेरित करता है.
टाटा ट्रस्ट्स, 1892 में स्थापित, भारत की सबसे पुरानी धर्मार्थ संस्था है, जो स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, जल, स्वच्छता, जीवनयापन, डिजिटलीकरण, सामाजिक न्याय और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में बदलाव ला रही है.
महिलाओं के लिए सबसे कठिन लड़ाई अक्सर वह होती है जो वह खुद से लड़ती हैं – संकोच, चुप्पी और अपने आप को पहले रखने की हिचकिचाहट. टाटा ट्रस्ट्स का सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान `खुद से जीत` इस भीतरी संघर्ष को उजागर करता है, जो महिलाओं को समय पर सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग कराने और अपनी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है.
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भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के बीच दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है, जो हर साल लगभग 75,000 जीवन छीनता है – यह प्रायः देर से पहचान के कारण होता है. हालांकि, प्रारंभिक चरणों में यह बेहद इलाज योग्य है, और 95% मामलों को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया जा सकता है यदि इसे जल्दी पकड़ा जाए, फिर भी कई महिलाएँ समय पर स्क्रीनिंग नहीं करवाती हैं. लाखों महिलाएँ या तो सर्वाइकल कैंसर और उसके लक्षणों के बारे में जागरूक नहीं हैं, या फिर भय, कलंक और चुप्पी की संस्कृति के कारण स्क्रीनिंग में देरी करती हैं.
टाटा ट्रस्ट्स के वर्षों के ग्रामीण क्षेत्र में किए गए प्रयासों ने, जिनमें पिछले साल झारखंड, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में 26,000 से अधिक सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग अभियान चलाए गए, गहरे सामाजिक और मानसिक अवरोधों का खुलासा किया है. इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं को संकोच को समाप्त कर सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है.
संचार के इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए, टाटा ट्रस्ट्स ने एक पैनल चर्चा आयोजित की, जिसमें ओंकोलॉजी, सायको-ओंकोलॉजी और रोगी सहायता विशेषज्ञों ने सर्वाइकल कैंसर की समस्या, स्क्रीनिंग में बाधाओं और जरूरी कदमों पर चर्चा की. इस सत्र में डॉ. गौरवी मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर, सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी, टाटा मेमोरियल सेंटर, डॉ. सविता गोस्वामी, सायको-ओंकोलॉजिस्ट, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और वंदना गुप्ता, कैंसर सर्वाइवर और V Care फाउंडेशन की संस्थापक शामिल थीं.
डॉ. रुद्रदत्त श्रोत्रिया, हेड मेडिकल ऑपरेशन्स, टाटा कैंसर केयर फाउंडेशन ने कहा, “भारत में सर्वाइकल कैंसर का बोझ 1.5 मिलियन डिसएबिलिटी-एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (DALYs) के स्तर पर है, और यह सबसे अधिक प्रभाव 30-65 वर्ष की महिलाओं में है. सबसे बड़ी चुनौतियाँ निम्न जागरूकता और संकोच हैं.”
इसके साथ ही, टाटा ट्रस्ट्स ने एक सामाजिक जागरूकता फिल्म भी पेश की, जो एक महिला के भीतर के संघर्ष और स्वयं के लक्षणों को नजरअंदाज करने से लेकर स्क्रीनिंग करवाने तक के परिवर्तन को दर्शाती है.
शिल्पी घोष, कम्युनिकेशंस स्पेशलिस्ट, टाटा ट्रस्ट्स ने कहा, "खुद से जीत अभियान महिलाओं की चुप्पी, उनके डर और संकोच को सुनने से जन्मा है. यह अभियान महिला को यह समझाने का प्रयास है कि उनकी सेहत महत्वपूर्ण है, और इस लड़ाई को जीतने का कदम उनके जीवन को बेहतर बना सकता है."
टाटा ट्रस्ट्स के बारे में
टाटा ट्रस्ट्स, 1892 में स्थापित, भारत की सबसे पुरानी धर्मार्थ संस्था है, जो स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, जल, स्वच्छता, जीवनयापन, डिजिटलीकरण, सामाजिक न्याय और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में बदलाव ला रही है. इसके कार्यक्रम, जो साझेदारी और अनुदान से होते हुए लागू होते हैं, देश के लिए उपयुक्त नवाचारों से भरे हैं. अधिक जानकारी के लिए कृपया www.tatatrusts.org पर जाएं.
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