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आर्थिक विवाद को लेकर बहन ने दर्ज कराया केस, कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत

Updated on: 12 February, 2024 06:37 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सत्र न्यायालय ने पिछले सप्ताह धोखाधड़ी के एक मामले में व्यवसायी (56) की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. कारोबारी के खिलाफ शिकायत उसकी बहन ने वित्तीय विवाद को लेकर दर्ज कराई थी.

प्रतिकात्मक तस्वीर

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सत्र न्यायालय ने पिछले सप्ताह धोखाधड़ी के एक मामले में व्यवसायी (56) की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. कारोबारी के खिलाफ शिकायत उसकी बहन ने वित्तीय विवाद को लेकर दर्ज कराई थी.

आदेश के अनुसार, व्यवसायी और बिल्डर मोहम्मद कलीम शेख की अपनी बहन महलका मोहम्मद फारूक रियामी द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि शेख ने उसे और उसकी बेटी हुडा को 70 लाख रुपये के वित्तीय सौदे में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.


इस सौदे में शेख द्वारा विकसित इमारत में एक फ्लैट के लिए बिक्री समझौते को निष्पादित करने का वादा शामिल था. विभिन्न समझौते निष्पादित किए गए और सुरक्षा जांच जारी की गईं. उन्हें बाद में शेख के खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण अस्वीकार कर दिया गया. शिकायत में आगे आरोप लगाया गया है कि आवेदक मुमताज महल बिल्डिंग का पुनर्विकास कर रहा था.


एफआईआर में यह भी कहा गया है कि रियामी ने 2017 में शेख से उक्त इमारत में फ्लैट नंबर 801 खरीदा था, लेकिन फ्लैट के लिए समझौता अभी भी पंजीकृत नहीं है. शेख ने इमारत की 9वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 902 बेचने का वादा किया और उससे 60 लाख रुपये स्वीकार किए.

इसके बाद रियामी ने अपने सोने के गहने बैंक में गिरवी रखकर 10 लाख रुपये का भुगतान किया. हालांकि, शेख ने वादे के मुताबिक 9वीं मंजिल का निर्माण नहीं कराया. 2020 में उन्होंने इमारत में 9वीं मंजिल के निर्माण तक फ्लैट नंबर 802 का कब्जा पहले मुखबिर की बेटी को सौंप दिया.


शेख ने नवंबर 2021 में पहले मुखबिर से फ्लैट नंबर 802 का कब्जा देने का अनुरोध किया और एक समझौते को निष्पादित करके कुल 70 लाख रुपये के पोस्ट-डेटेड चेक जारी किए. पहले मुखबिर ने फ्लैट खाली कर दिया और उसका कब्ज़ा शेख को सौंप दिया, लेकिन उसने कभी भी 9वीं मंजिल नहीं बनाई. इसके अतिरिक्त, सुरक्षा जांच बाउंस हो गई. शेख ने पहले मुखबिर और उसकी बेटी को धोखा देते हुए उक्त फ्लैट को भारी जमा राशि पर तीसरे व्यक्ति को किराए पर दे दिया.

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