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वार्ड सीमांकन में फडणवीस सरकार की मनमानी का आरोप, जितेंद्र आव्हाड ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना

Updated on: 29 October, 2025 08:51 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

वार्ड सीमांकन को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में गरमी बढ़ गई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने सरकार पर वार्ड संरचना में मनमानी और राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया है.

Facebook: Nationalist Congress Party - Sharadchandra Pawar

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और विधायक जितेंद्र आव्हाड ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाणे नगर निगम की नई वार्ड संरचना और परिसीमन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया. आव्हाड ने आरोप लगाया कि वार्डों का गठन जनता की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए सत्तारूढ़ दल की मर्ज़ी से किया गया है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी चयन प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए. लेकिन, ठाणे नगर निगम के वार्डों के गठन में इन सभी सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया गया है. आव्हाड ने दावा किया कि “वार्ड संरचना पूरी तरह से एक राजनीतिक दल के पक्ष में बनाई गई है. सत्ताधारी दल ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर अपने हित में सीमांकन करवाया है. जहां उनका प्रभाव क्षेत्र है, वहां वार्डों को जोड़ा गया है और विपक्षी इलाकों को जानबूझकर कमजोर किया गया है.”


एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक जितेंद्र आव्हाड ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह मामला केवल ठाणे तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्यभर में वार्ड परिसीमन को लेकर भारी असंतोष है. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक की समयसीमा दी है, परंतु कई याचिकाओं पर अभी तक सुनवाई लंबित है.



आव्हाड ने कहा कि `नए परिसीमन में कई विसंगतियाँ हैं.` जनसंख्या के आंकड़े गलत दिखाकर वार्डों की सीमा तय की गई है. कई क्षेत्रों में वार्डों को तोड़ा-मरोड़ा गया ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है और उसके “मनमाने प्रशासन के खिलाफ सौ से अधिक याचिकाएँ राज्यभर की विभिन्न पीठों में लंबित हैं.`

एनसीपी नेता ने आगे कहा कि सरकार और चुनाव आयोग ने मिलकर स्थानीय निकाय चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की है. `सरकार और आयोग दोनों ने मिलकर फर्जी और आयातित मतदाताओं के सहारे चुनाव जीतने की साजिश रची है,` आव्हाड ने कहा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने अपने संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर दिया है और सरकार के दबाव में काम कर रहा है.


आव्हाड ने कहा कि अगर चुनाव आयोग सरकार के निर्देशों पर काम करता रहेगा, तो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा संविधान में दी गई उसकी स्वतंत्रता पूरी तरह समाप्त हो जाएगी. उन्होंने सवाल उठाया, `जब महाराष्ट्र में हजारों वोटों में गड़बड़ी हो रही है, तो क्या चुनाव आयोग सो रहा है? विपक्ष बार-बार सबूत पेश कर रहा है, फिर भी आयोग खामोश क्यों है?`

उन्होंने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि `वहाँ स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान SIR जांच हो रही है, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा नहीं किया जा रहा.` आव्हाड ने कहा कि अगर मतदाता सूची ही भ्रष्ट और गलत है, तो चुनाव और उसके परिणामों का कोई मतलब नहीं रह जाता. “लोकतंत्र पूरी तरह खतरे में है,” उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा.

 

 

आखिर में जितेंद्र आव्हाड ने मांग की कि राज्य में लंबित सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हो और चुनाव आयोग की भूमिका की जांच की जाए. उन्होंने कहा कि जब तक आयोग अपनी निष्पक्षता साबित नहीं करता, तब तक जनता का उस पर से विश्वास उठता रहेगा. `अगर चुनाव आयोग खुद ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है, तो वह जनता के नहीं बल्कि किसी दल के प्रति जवाबदेह बन गया है, `आव्हाड ने कहा. उन्होंने दोहराया कि यह केवल ठाणे या किसी एक शहर का मामला नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लोकतंत्र का सवाल है.

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