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2006 मुंबई ब्लास्ट पर बोले अजित पवार- `किसी को बचाया नहीं जाना चाहिए`

Updated on: 25 July, 2025 04:34 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उनकी यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक के बाद आई है जिसमें 12 आरोपियों को बरी किया था.

अजित पवार. फ़ाइल तस्वीर

अजित पवार. फ़ाइल तस्वीर

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने गुरुवार को कहा कि 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में राजनीतिक दबाव में किसी को भी नहीं बचाया जाएगा. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उनकी यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने के बाद आई है जिसमें विस्फोटों के 12 आरोपियों को बरी किया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक पवार ने कहा कि राज्य को मामले की गहन जाँच करने और ज़रूरत पड़ने पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगाने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा, "राजनीतिक दबाव में किसी को भी न बचाने के आदेश दिए गए हैं. मैं आज ही संरक्षक मंत्री बना हूँ. घटना उससे पहले हुई थी. मुझे विश्वास है कि न्यायपालिका सभी तथ्यों को ध्यान में रखेगी और निष्पक्ष फैसला देगी."


उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार की छवि महत्वपूर्ण है और आश्वासन दिया कि न्याय होगा. रिपोर्ट के अनुसार पवार ने कहा, "देवेंद्रजी (फडणवीस) आज दिल्ली में हैं. उनके लौटने के बाद हम बात करेंगे." कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे से जुड़े विवाद पर बोलते हुए, पवार ने कहा कि वह मामले के तथ्यों को समझने के लिए कोकाटे से मिलेंगे. पवार ने कहा कि विधानसभा में पहले भी हंगामा हुआ है और अब इन घटनाओं की जाँच चल रही है. उन्होंने कहा, "सदन में उचित व्यवहार बनाए रखने के लिए पहले भी सख्त निर्देश दिए गए थे. ऐसा दूसरी बार हुआ है और मैं इस मामले पर आमने-सामने चर्चा करूँगा."


आरोपों और संवेदनशील सामग्री वाली एक पेन ड्राइव की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए, पवार ने विपक्ष को इसे जनता के सामने पेश करने की चुनौती दी. उन्होंने कहा, "इसे छिपाना बंद करो. ये किस तरह की पेन ड्राइव हैं? इन्हें दिखाओ. सच्चाई लोगों के सामने आने दो." उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में चार मंत्रियों का नाम आ रहा है और पुलिस तदनुसार जाँच करेगी. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने मराठी और हिंदी विवाद पर भी टिप्पणी की और कहा, "यहां पहले मराठी बोली जाती है, फिर हिंदी. यह शाहू, फुले और अंबेडकर का महाराष्ट्र है. अगर कोई मराठी नहीं बोल सकता, तो उसे कम से कम यह कहना चाहिए कि वह इस भाषा का सम्मान करता है."


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