Updated on: 27 January, 2025 09:43 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
ठाणे के पूर्व मेयर और भाजपा नेता अशोक राउल का 75 वर्ष की उम्र में रविवार रात निधन हो गया. वह लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे.
Ashok Raul. Pic/Facebook
ठाणे के पूर्व मेयर और भाजपा नेता अशोक राउल का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके परिवार ने पुष्टि की कि वह लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और रविवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली. अशोक राउल की पहचान ठाणे की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा रही है, जिनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू होकर एनसीपी के रास्ते भाजपा तक पहुंचा. उनके निधन के साथ ठाणे की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनका करियर हमेशा उपलब्धियों और विवादों के बीच संतुलित रहा.
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राजनीतिक सफर: कांग्रेस से भाजपा तक
अशोक राउल ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी, जहां उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करते हुए एक मजबूत पहचान बनाई. बाद में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए और अपनी पकड़ और मजबूत कर ली. हालांकि, उनका असली राजनीतिक सफर तब नया मोड़ लेता है जब वह भाजपा में शामिल होते हैं. ठाणे नगर निगम में मेयर के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कई विकास परियोजनाओं को गति दी, जिससे शहर को एक नई दिशा मिली.
2019 का बड़ा झटका: अयोग्यता के दाग
राउल का राजनीतिक करियर केवल उपलब्धियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विवादों का साया भी उन पर मंडराता रहा. 2019 में ठाणे की एक अदालत ने उन्हें पार्षद पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था. शिवसेना उम्मीदवार मंदार विचारे ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि राउल ने अपने नामांकन पत्र में आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाई थी. कोर्ट के फैसले में उनकी जीत को रद्द कर दिया गया और विचारे को वार्ड 12डी से पार्षद घोषित कर दिया गया. इस निर्णय ने राउल की राजनीतिक छवि को गहरा धक्का पहुंचाया.
विरोधियों को साधने में माहिर, जनता के नेता रहे
राजनीति में अनुभव और चतुराई का अद्भुत संगम रहे अशोक राउल ने हर पार्टी में अपनी पकड़ बनाए रखी. वे न केवल ठाणे में विकास कार्यों के लिए जाने जाते थे, बल्कि जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देने के लिए भी प्रसिद्ध थे. उनके निधन के साथ ठाणे ने एक अनुभवी और समर्पित नेता खो दिया है.
राजनीति से परे, विवादों की छाया भी
राउल की छवि एक जुझारू नेता की रही, लेकिन राजनीतिक जीवन में कई बार आरोपों और विवादों ने उनका पीछा किया. अदालत के फैसले के बाद भी वे अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय बने रहे और ठाणे की राजनीति में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में सफल रहे.
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