Updated on: 30 January, 2025 09:54 AM IST | Mumbai
Aishwarya Iyer
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2014 में कांजुरमार्ग में 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपी चंद्रभान सनप को बरी कर दिया है. इस फैसले से पीड़िता का परिवार गहरे सदमे में है और उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था पर विश्वासघात करार दिया.
चंद्रभान सनप पर 2014 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर से बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया था. File pic
जनवरी 2014 में कांजुरमार्ग में 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ बलात्कार और हत्या करने तथा उसके जले हुए शव को ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास झाड़ियों में फेंकने के आरोपी चंद्रभान सनप को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है. फैसले से आहत पीड़िता के परिवार ने विश्वासघात और निराशा की गहरी भावना व्यक्त की. पीड़िता के चाचा ने मिड-डे को बताया, “यह फैसला बताता है कि अपराधी सबसे जघन्य अपराध करने के बाद भी आज़ाद घूम सकते हैं. हम पूरी तरह से निराश महसूस करते हैं - ऐसा लगता है कि पीड़ितों के लिए अब न्याय नहीं है.” मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के बलात्कार और हत्या के लिए 2014 में सनप पर मामला दर्ज होने के बाद, एक विशेष महिला अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी. उसने बॉम्बे हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने सजा को बरकरार रखा. बाद में, आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
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मंगलवार को, अपराध के एक दशक से भी ज़्यादा समय बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को सनप को रिहा करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया कि "वह अपराध का दोषी नहीं है, इसलिए बरी किया जाता है." न्यायालय ने दोषसिद्धि को पलटने के लिए सबूतों में महत्वपूर्ण चूक और प्रक्रियागत कमियों का हवाला दिया.
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, पीड़िता के चाचा ने कहा, "हम न्यायालय से उसके द्वारा किए गए जघन्य अपराध के लिए उसे फांसी पर लटकाने के लिए भी नहीं कह रहे हैं. लेकिन उसने हमारी बेटी के साथ जो किया, उसके बाद उसे बेगुनाह छोड़ देना? एक परिवार के सदस्य के रूप में यह अविश्वसनीय और दिल दहला देने वाला है. हमारी बेटी के साथ बलात्कार किया गया, उसकी हत्या की गई, उसे जला दिया गया और उच्च न्यायालय ने इसे `दुर्लभतम मामलों` की श्रेणी में रखा था. फिर भी, सर्वोच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया है. यह चोट पर नमक छिड़कने जैसा है, उसे खोने के हमारे दर्द को पूरी तरह से खारिज करना है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उन सभी आरोपियों के लिए एक हरी झंडी है जो अब सोचेंगे कि वे जघन्य अपराध कर सकते हैं और आसानी से समाज में वापस आ सकते हैं."
उन्होंने कहा, "उस समय कमिश्नर राकेश मारिया के नेतृत्व में मुंबई पुलिस ने महीनों की जांच के बाद आरोपी को पकड़ने का सराहनीय काम किया. आरोपी के पास से टीसीएस आईडी कार्ड समेत सबूत बरामद किए गए, और फिर भी सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सबूतों में खामियां हैं. सरकार को `बेटी बचाओ` जैसे नारे लगाना बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह जमीनी स्तर पर अर्थहीन है. हमने अपनी बेटी खो दी है, और वह कभी वापस नहीं आएगी. उसे दोषी ठहराए जाने से यह सुनिश्चित होता कि ऐसी भयावह घटनाएं अन्य बेटियों के साथ न हों."
परिवार अब समीक्षा याचिका दायर करने पर विचार कर रहा है, हालांकि वे मानते हैं कि यह प्रक्रिया भावनात्मक और मानसिक रूप से थका देने वाली है. पीड़िता के चाचा ने कहा, "यह आसान नहीं है - अपनी बेटी को खोना, एक दशक से अधिक समय तक न्याय के लिए लड़ना, ऐसा फैसला सुनना और अब फिर से लड़ने के लिए मजबूत बने रहने की कोशिश करना. लेकिन हम समीक्षा याचिका दायर करने पर चर्चा करने के लिए अपने वकील से मिलने के बारे में सोच रहे हैं."
मामले की पृष्ठभूमि
16 जनवरी, 2014 को पीड़िता का आंशिक रूप से जला हुआ और सड़ चुका शव ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास मिला था. जांच में पता चला कि 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर विजयवाड़ा से मुंबई जा रही थी और 5 जनवरी को लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT) रेलवे स्टेशन पर पहुंची थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत सिर में चोट लगने, गला घोंटने और जननांग में चोट लगने से हुई थी.
दो महीने की कड़ी जांच के बाद, पुलिस ने चंद्रभान सनप का पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया, जिस पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 (बलात्कार) और 201 (सबूत मिटाने) के तहत आरोप लगाए गए थे. पुलिस के अनुसार, सनप ने महिला को लूटने के इरादे से खुद को कैब ड्राइवर बताया और उसे अंधेरी में उसके हॉस्टल तक छोड़ने की पेशकश की. फिर उसने महिला से कहा कि उसके पास कार नहीं बल्कि बाइक है और उसने महिला को उस पर भरोसा करने के लिए राजी कर लिया. पुलिस जांच के अनुसार, जब वह हिचकिचाई तो उसने उसका बैग पकड़कर अपनी बाइक पर रख लिया, जिसके बाद उसने उसकी बात मान ली और उसके साथ यात्रा करने का निर्णय लिया.
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