Updated on: 30 July, 2025 12:56 PM IST | Mumbai
Amarjeet Singh
बशर्ते निवासी मतदान की अधिसूचित प्रक्रिया का पालन करें.
सोमवार को रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय में सभी हितधारकों की एक बैठक हुई. तस्वीर/विशेष व्यवस्था
खारघर को पूर्णतः `शराब-मुक्त क्षेत्र` बनाने की दिशा में ज़िला अधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. रायगढ़ ज़िला कलेक्टर किशन जावले ने स्थानीय प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया है कि शराबबंदी लागू करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी, बशर्ते निवासी मतदान की अधिसूचित प्रक्रिया का पालन करें.
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सोमवार को अलीबाग स्थित रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय में हुई इस बैठक की शुरुआत विधायक प्रशांत ठाकुर ने की और इसमें खारघर संघर्ष समिति के सदस्यों के साथ-साथ राज्य आबकारी विभाग और ज़िला परिषद के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए. चर्चा क्षेत्र में शराब की दुकानों को लेकर बढ़ती चिंता और पूर्ण शराबबंदी की आगे की राह पर केंद्रित रही.
जावले ने कहा, "राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, यदि निर्दिष्ट क्षेत्र के 25 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता शराबबंदी की मांग करते हुए लिखित आवेदन जमा करते हैं, तो प्रशासन औपचारिक मतदान कराएगा." उन्होंने आगे कहा, "यदि बहुमत पक्ष में मतदान करता है, तो हम खारघर में पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे. हमारी टीम पूरी पारदर्शिता के साथ पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए तैयार है. आबकारी विभाग को नागरिक प्रतिनिधियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया गया है."
स्थानीय निवासियों, हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक समूह, खारघर संघर्ष समिति, 2007 से खारघर को शराब मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही है. हाल के वर्षों में आवासीय परिसरों और शैक्षणिक संस्थानों के पास शराब की दुकानों और बारों को फिर से खोलने के साथ उनकी माँग और तेज़ हो गई है.
समिति की तेजस्विनी सालस्कर ने कहा, "2007 में, खारघर में सिर्फ़ एक शराब की दुकान थी, और लगातार विरोध प्रदर्शनों के कारण, उसे छह महीने में ही सील कर दिया गया था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, दो-तीन बार और एक शराब की दुकान फिर से खुल गई है. हम मांग कर रहे हैं कि उनके लाइसेंस रद्द किए जाएँ. खारघर एक शैक्षणिक केंद्र है. स्कूलों और घरों के पास शराब की दुकानें केवल उपद्रव ही फैलाती हैं."
शहर के माहौल को सुरक्षित रखने की ज़रूरत को लेकर निवासी मुखर रहे हैं. पिछले एक साल में हस्ताक्षर अभियान और शांतिपूर्ण मार्च सहित कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं. खारघर से शिवसेना (यूबीटी) की नेता लीना गरद, जो नागरिकों द्वारा संचालित इस अभियान का समर्थन कर रही हैं, ने कहा, "यह आंदोलन राजनीतिक नहीं है. यह जनता का मुद्दा है. खारघर जैसे परिवार-केंद्रित और शैक्षणिक क्षेत्रों में शराब की दुकानों की मौजूदगी समुदाय की सुरक्षा और कल्याण के लिए खतरा है. हम प्रशासन की कार्रवाई के लिए तत्परता का स्वागत करते हैं."
ज़िला प्रशासन द्वारा अब एक स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित करने के साथ, नागरिकों पर एकजुट होकर आवश्यक आवेदन जमा करने की ज़िम्मेदारी है. यदि यह सफल रहा, तो खारघर एक आदर्श उदाहरण बन सकता है कि कैसे प्रशासनिक सहयोग से समर्थित नागरिक सक्रियता सार्थक बदलाव ला सकती है. कई प्रयासों के बाद भी, विधायक ठाकुर प्रेस में जाने तक टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.
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