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मराठी लेखक रा.रा.बोराडे का निधन, साहित्य जगत में खालीपन

Updated on: 11 February, 2025 04:10 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनके जाने से शहरी और ग्रामीण साहित्यिक परंपराओं के बीच महत्वपूर्ण संबंध टूट गया है.

X/ फ़ाइल चित्र

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महाराष्ट्र के तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने लोगों को अक्सर उनकी ग्रामीण जड़ों से दूर कर दिया है, लेकिन एक साहित्यकार ने उन्हें लगातार उनकी जड़ों की याद दिलाई- रा. रा. बोराडे. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने शोक संदेश में कहा कि उनके जाने से शहरी और ग्रामीण साहित्यिक परंपराओं के बीच महत्वपूर्ण संबंध टूट गया है. हाल ही में बोराडे को मराठी साहित्य में उनके अपार योगदान के लिए राज्य के भाषा विभाग द्वारा प्रतिष्ठित विंदा करंदीकर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

शिंदे ने कहा कि उनके सम्मान में एक भव्य सम्मान समारोह की योजना बनाई गई थी. हालांकि, भाग्य ने कुछ और ही सोच रखा था, और उनके असामयिक निधन ने साहित्यिक समुदाय, उनके प्रशंसकों और उनके प्रति श्रद्धा रखने वाले छात्रों को गहरा सदमा पहुँचाया है. एक साधारण किसान परिवार में जन्मे, रा. रा. बोराडे महाराष्ट्र की समृद्ध ग्रामीण संस्कृति के साहित्यिक अवतार थे. उनके लेखन में गांवों के परिवर्तन, कृषि जीवन के संघर्ष और ग्रामीण महाराष्ट्र की विकसित होती सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है. अपनी अपार सफलता के बावजूद, उन्होंने एक साधारण जीवन जिया और खुद को उपन्यासों, लघु कथाओं और बच्चों के साहित्य के माध्यम से कहानी कहने के लिए समर्पित कर दिया.


उनके कामों में `पचोला`, `आमदार सौभाग्यवती` और `चारापानी` जैसे प्रशंसित उपन्यासों के साथ-साथ `कांसन आनी कदबा`, `पेरानी`, `तालमेल`, `मालनी`, `नातिगोटी` और `खोलम्बा` जैसे प्रसिद्ध लघु कथा संग्रह शामिल हैं. उनके बच्चों के उपन्यास `शिका तुम्ही हो शिका` और `राहत पालना` जैसी कृतियों ने उनकी विरासत को और मजबूत किया.


उन्होंने महाराष्ट्र राज्य साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड के अध्यक्ष, ग्रामीण साहित्य परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया तथा 1989 में हिंगोली में मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की. उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि उनका निधन मराठी साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने एक प्रतिष्ठित साहित्यिक दिग्गज को खो दिया है, जिसका प्रभाव पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा.


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