Updated on: 07 September, 2025 01:45 PM IST | Mumbai
Ritika Gondhalekar
फिर भी, उनके बार-बार के सवालों और अनुरोधों का कोई जवाब नहीं मिला है, जिससे सैकड़ों परिवार अपने भविष्य और सुरक्षा को लेकर अनिश्चित हैं.
परेल निवासी 25 अप्रैल को एलफिंस्टन रोड पुल को गिराए जाने की योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तस्वीर/अतुल कांबले
जैसे-जैसे एलफिंस्टन पुल के बंद होने की तारीख नज़दीक आ रही है, इलाके के निवासियों में चिंता बढ़ती जा रही है. 10 सितंबर को पुल के बंद होने की तारीख पर स्पष्टता की मांग करते हुए निवासियों ने यातायात विभाग, मुंबई पुलिस, मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) और अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखे हुए 10 दिन हो चुके हैं. फिर भी, उनके बार-बार के सवालों और अनुरोधों का कोई जवाब नहीं मिला है, जिससे सैकड़ों परिवार अपने भविष्य और सुरक्षा को लेकर अनिश्चित हैं.
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निवासियों ने 26 अगस्त को अधिकारियों को एक विस्तृत पत्र भेजा था, जिसमें पुल बंद होने के बाद उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया था. उनकी चिंताएँ केवल यातायात में व्यवधान तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि दैनिक जीवन, आपातकालीन पहुँच और यहाँ तक कि उनके घरों की स्थिरता पर पड़ने वाले व्यापक प्रभावों तक भी थीं. इन ज्वलंत मुद्दों को उठाने के बावजूद, निवासियों का आरोप है कि उन्हें प्रशासन से एक भी लिखित या मौखिक आश्वासन नहीं मिला है.
प्रभावित होने वाली इमारतों में से एक, हाजी नूरानी बिल्डिंग की निवासी रबिया ठाकुर ने कहा, "हम पूरी तरह अनिश्चितता में जी रहे हैं." अधिकारी हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे हमारा कोई वजूद ही न हो. हमें नहीं पता कि जब तोड़फोड़ शुरू होगी तो क्या होगा. क्या हमारे घर सुरक्षित रहेंगे? क्या हमें फिर से अपने घरों तक पहुँच मिलेगी? क्या हमें पास के ट्रांजिट होम्स में रखा जाएगा? इन बुनियादी सवालों का कोई जवाब नहीं दे रहा है. ज्योति एस. ने कहा, "हम तोड़फोड़ का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम समझते हैं कि पुल पुराना है और इसे फिर से बनाने की ज़रूरत है. लेकिन जिस तरह से यह किया जा रहा है - बिना किसी संवाद, योजना या आश्वासन के - यह दर्शाता है कि अधिकारियों को आम नागरिकों की कितनी कम परवाह है."
कुछ निवासियों ने संकेत दिया कि अगर अधिकारियों की चुप्पी जारी रही, तो उनके पास अपना आंदोलन तेज़ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. हाजी नूरानी बिल्डिंग के सचिव मुनाफ ठाकुर ने कहा, "पहले भी एक छोटा सा विरोध प्रदर्शन किया गया था, जहाँ निवासियों ने अपने अधिकारों की माँग करते हुए तख्तियाँ ले रखी थीं. लेकिन अगर तोड़फोड़ से पहले हमें पास के ट्रांजिट होम्स में नहीं भेजा गया, तो हमें अपना विरोध तेज़ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. जब तक हमें न्याय नहीं मिलता, हम पुल को नहीं टूटने देंगे."
संयुक्त आयुक्त (यातायात) अनिल कुंभारे ने मिड-डे को बताया, "इस साल अप्रैल में ही एक नोटिस दिया जा चुका है, और वह नोटिस अभी भी वैध है. इसलिए अब एमएमआरडीए को उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाने होंगे. हम तय समय के अनुसार 10 सितंबर से बंद शुरू करेंगे." एमएमआरडीए के अधिकारियों ने प्रेस में जाने तक मिड-डे को कोई जवाब नहीं दिया.
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